MP High Court:: जस्टिस संजीव सचदेवा बने मुख्य न्यायाधीश, जानें उनकी प्रोफाइल

MP High Court: जस्टिस संजीव सचदेवा बने मुख्य न्यायाधीश
MP Chief Justice Sanjeev Sachdeva: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट को आखिरकार स्थायी मुख्य न्यायाधीश मिल गया। केंद्र सरकार ने सोमवार (14 जुलाई) को देर शाम अधिसूचना जारी कर जस्टिस संजीव सचदेवा को जबलपुर हाईकोर्ट का नया चीफ जस्टिस नियुक्त किया है। अभी वे कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभाल रहे थे।
कौन हैं जस्टिस संजीव सचदेवा?
- जस्टिस संजीव सचदेवा दिल्ली हाईकोर्ट से स्थानांतरित होकर 30 मई 2024 को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट आए। 24 मई 2025 को उन्हें कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया। इससे पहले भी वे 9 जुलाई 2024 से 24 सितंबर 2024 तक कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं।
- मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत के सेवानिवृत्त होने के बाद से जस्टिस सचदेवा ही कार्यभार संभाल रहे थे। अब उन्हें स्थायी तौर पर उच्च न्यायालय का प्रमुख बनाया गया है।
केंद्र सरकार की अधिसूचना
केंद्रीय कानून मंत्रालय ने सोमवार को उनकी नियुक्ति संबंधी औपचारिक अधिसूचना जारी की। इस अधिसूचना के अनुसार, अब वे नियमित चीफ जस्टिस के रूप में कार्यभार संभालेंगे। न्याय विभाग के अधिकारियों ने बताया कि राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया भोपाल में उन्हें शपथ दिलाएंगे। हालांकि, शपथग्रहण की तारीख की घोषणा अब तक नहीं की गई है।
मद्रास HC से जबलपुर आए जस्टिस विवेक
जस्टिस सचदेवा की इस नियुक्ति के साथ ही मध्यप्रदेश हाईकोर्ट को और न्यायाधीश मिला है। जस्टिस विवेक कुमार सिंह को मद्रास हाईकोर्ट से जबलपुर हाईकोर्ट में स्थानांतरित किया गया है। जबलपुर में उन्हें जस्टिस सचदेवा के हाथों शपथ दिलाई जाएगी।
क्या है मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की स्थिति?
विवरण संख्या
कुल स्वीकृत जज 53
वर्तमान जज (नई नियुक्ति के बाद) 34
रिक्त पद 19
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में यह नियुक्ति राहत देने वाली है, लेकिन अब भी यहां 19 जजों की कमी बनी हुई है। इससे न्यायिक कार्यों की गति और लंबित मामलों पर सीधा असर पड़ता है।
आगे की प्रक्रिया
जस्टिस संजीव सचदेवा को भोपाल में शपथ दिलाई जाएगी।
जस्टिस विवेक कुमार सिंह को जबलपुर में शपथ दिलाई जाएगी।
हाईकोर्ट में रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया कॉलेजियम और केंद्र सरकार के समन्वय से जारी रहेगी।
कॉलेजियम सिस्टम पर उठे सवाल
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस ने कॉलेजियम सिस्टम पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, देश की जनसंख्या में दलित, आदिवासी और पिछड़ा वर्ग 90% से अधिक है, फिर भी SC/ST वर्ग से कोई हाईकोर्ट जज नहीं बन पा रहा। यह बयान न्यायिक क्षेत्र में प्रतिनिधित्व की असमानता को उजागर करता है और नई बहस को जन्म देता है।