MP हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: बगलामुखी मंदिर की 200 करोड़ की भूमि पर सरकार का स्वामित्व बहाल, 1997 की फर्जी डिक्री रद्द

Baglamukhi Temple Land Case: हाईकोर्ट ने सरकार का स्वामित्व बहाल किया, फर्जी डिक्री रद्द
(एपी सिंह) इंदौर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने नलखेड़ा स्थित मां बगलामुखी मंदिर से जुड़ी करीब 200 करोड़ की भूमि पर सरकार का स्वामित्व बहाल कर दिया है।
हाईकोर्ट ने सनत कुमार और अन्य की अपील को खारिज कर दिया। कोर्ट ने माना कि वर्ष 1997 की जिस डिक्री के आधार पर दावा किया जा रहा था, वह फर्जी और मनगढ़ंत थी। इसमें कई महत्वपूर्ण तथ्य छिपाए गए थे।
अदालत के आदेश के तुरंत बाद प्रशासन हरकत में आ गया। शुक्रवार देर रात टीम मौके पर पहुंची और भूमि को दोबारा अपने कब्जे में लेना शुरू कर दिया। विवादित भूमि पर चल रही दुकानों को खाली कराया गया। दुकानदार अपना सामान हटाते नजर आए।
इस विवाद की शुरुआत 1997 के उसी निर्णय से हुई थी। आरोप था कि फैसला कुछ दस्तावेज छिपाकर लिया गया था। वर्ष 2007 में आगर के अतिरिक्त जिला न्यायाधीश ने इस डिक्री को शून्य घोषित कर दिया था। कोर्ट ने इसे संदिग्ध वसीयत और जाली कागजात पर आधारित बताया था।

हाईकोर्ट ने भी निचली अदालत की इन टिप्पणियों को सही माना। अदालत ने पाया कि मूल मामले में मंदिर के देवता और प्रबंधन पक्ष को शामिल ही नहीं किया गया था। जबकि विवाद सीधे धार्मिक संपत्ति से जुड़ा था।
अंतिम सुनवाई में अतिरिक्त महाधिवक्ता आनंद सोनी ने कई महत्वपूर्ण दस्तावेज पेश किए। इनमें राजस्व अभिलेख, वक्फ समिति के रिकॉर्ड, गुरु-चेला परंपरा के दस्तावेज और पहले के फैसले शामिल थे।
अदालत ने माना कि पेश किए गए साक्ष्य साफ बताते हैं कि यह भूमि मंदिर और धर्मशाला की ही संपत्ति है। रिकॉर्ड के अनुसार, वर्ष 2006-07 से यह भूमि श्री राम मंदिर प्रशासक के नाम दर्ज है। इसका प्रतिनिधित्व जिला कलेक्टर करते हैं।
कलेक्टर प्रीति यादव ने कहा कि आदेश के अनुसार भूमि को अधिकृत मंदिर प्रबंधन को सौंपा जा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि आगे कोई अवैध कब्जा या फर्जी दावा किया गया तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
