गुरु पूर्णिमा महोत्सव: स्वामी अवधेशानन्द आश्रम में श्रद्धा और समर्पण का अद्भुत संगम

गुरु पूर्णिमा पर अवधेशानन्द आश्रम में श्रद्धा, सेवा और समर्पण का अद्भुत संगम
''जब सज्जन और श्रेष्ठ मनुष्यों के सदगुण, दिव्यताएँ, योग्यता तथा ऊर्जा एकीकृत होती है, तब अत्यन्त दुष्कर कार्य भी सामान्य और सरल से प्रतीत होते हैं। अतः आओ ! एकजुटता के साथ अपनी ऊर्जा का निवेश पारमार्थिक प्रवृत्तियों के विस्तार और लोक-कल्याण की संसिद्धि के लिए करें।''
-स्वामी अवधेशानंद
प्रभु प्रेमी संघ, भोपाल शाखा द्वारा आयोजित गुरु पूर्णिमा महोत्सव वीरपुर स्थित स्वामी अवधेशानन्द आश्रम में अत्यंत उल्लासपूर्ण एवं भव्य रूप से संपन्न हुआ। यह आध्यात्मिक पर्व न केवल श्रद्धालुओं के लिए एक दिव्य अनुभव रहा, बल्कि सामाजिक समरसता और सेवा भावना का भी अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करता है।
इस पुनीत अवसर की शोभा बढ़ाने हेतु मध्यप्रदेश शासन में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कृष्णा गौर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं। उनके साथ समाजसेवी हरिश परसारिया, क्षेत्रीय भक्तगण तथा प्रभु प्रेमी संघ की अध्यक्ष कीर्ति सिंह, धर्मेन्द्र शुक्ला, वी. के. शुक्ला, भूपेन्द्र सिंह, सोने राम एवं शाखा के अन्य सदस्य भी उपस्थित रहे, जिनकी गरिमामयी उपस्थिति ने आयोजन को और अधिक दिव्यता प्रदान की।
कार्यक्रम की श्रृंखला: भक्तिभाव में डूबा हर क्षण
- प्रातः 11:00 बजे से चरण पादुका पूजन की पवित्र शुरुआत हुई, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
- इसके पश्चात पंडित श्री आशाराम त्रिपाठी जी द्वारा 11:00 से 1:00 बजे तक सुंदरकांड का पाठ किया गया, जो श्रद्धा से ओतप्रोत वातावरण में संपन्न हुआ।
- 1:00 से 2:00 बजे तक भजन का आयोजन हुआ, जिसमें भक्तगण संगीत की स्वर लहरियों में लीन हो गए।
- ठीक 2:00 बजे महाआरती की दिव्य ज्योति से आश्रम प्रकाशित हुआ और हर हृदय भाव विभोर हो उठा।
- कार्यक्रम पर भंडारा प्रसादी, आरती उपरांत प्रारंभ हुआ और प्रेमपूर्ण वातावरण में सबने भंडारा प्रसादी ग्रहण किया।
विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि भंडारे से पूर्व 101 किशोरियों को भंडारा प्रसादी ग्रहण करवाया गया, जो समाज सेवा की भावना को उजागर करता है। यह पहल आयोजनकर्ताओं की संवेदनशीलता और समर्पण का प्रतीक बनी।
ग्रामीण जन की भागीदारी
इस आयोजन में लगभग 10 गांवों से श्रद्धालु पधारे और कुल लगभग 2000 लोगों की भागीदारी रही। हर आगंतुक ने आयोजन को अपने हृदय से अपनाया और दिव्यता को महसूस किया।
पूरे आयोजन में स्वामी अवधेशानन्द महाराज जी की दिव्य छाया और आशीर्वाद निरंतर अनुभूत होते रहा था यद्यपि महाराज जी का भौतिक रूप में आगमन नहीं हुआ, फिर भी हर भक्त ने उनकी उपस्थिति को अपनी आत्मा की गहराइयों में महसूस किया। उनके आशीर्वाद और शुभकामनाओं से यह कार्यक्रम अत्यंत सफल रहा।
इस पावन आयोजन ने गुरु के महत्व, सेवा की भावना और समाज के सामूहिक सहयोग का अनोखा संगम प्रस्तुत किया। यह महोत्सव लंबे समय तक श्रद्धालुओं के हृदय में अमिट स्मृति बनकर अंकित रहेगा।