बांस की सब्जी, कोदो भात: भोपाल में दुनिया का पहला ट्राइबल कैफे; जनजातीय संस्कारों के बीच मिलेगा लजीज व्यंजनों का लुत्फ

Bhopal Tribal Cafe: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में दुनिया का पहला ट्राइबल कैफे (जनजातीय भोजनालय) खुलने जा रहा है। जहां कोदो कुटकी और बांस की सब्जी जैसे पौष्टिक और पारंपरिक व्यंजनों का लुत्फ उठा सकेंगे। ट्राइबल म्यूजियम परिसर में पिछले दो साल से काम चल रहा था। जुलाई में उद्घाटन किए जाने की तैयारी है।
ट्राइबल ट्रेडिशन के बीच स्वाद का मजा
मध्य प्रदेश में 7 जनजातियां (गोंड, बैगा, भारिया, कोरकू, सहरिया, कोल और भील) रहती हैं। सभी के अपने पारंपरिक पकवान, रीति-रिवाज और परंपराएं हैं। ट्राइबल म्यूजियम में सभी जनजातियों के पारंपरिक 7 घर तैयार किए गए हैं।अपनी पसंद से लोग कोई भी घर चुन सकेंगे। हर घर में उसी जनजातीय परंपरा में स्वागत और विदाई की जाएगी। उसी जनजाति के रसोइए द्वारा बनाए गए पकवान उनके पारंपरिक बर्तनों में परोसे जाएंगे। भोजन में इस्तेमाल होने वाले उत्पाद और मसाले भी जनजाति क्षेत्रों से ही लाए जाएंगे।
इन व्यंजनों का स्वाद
1. गोंड: कोदो भात, तुअर दाल।
2. भील: मक्के की रोटी, गुड़ पापड़ी और दाल पनीला।
3. कोल: कुटकी, कोदो भात, तुअर दाल।
4. कोरकू: मोटे अनाज की रोटी, चने की भाजी।
5. सहरिया: जौ-गेहूं की रोटी, दाल
6.भारिया: मक्के की रोटी, चावल और कई तरह की भाजी।
7. बैगा: बांस की सब्जी, करील, पिहरी और कोदो भात।
जनजातीय संस्कृति और संस्कारों की जीवंत झलक
क्यूरेटर अशोक मिश्रा ने बताया, यह कैफे पारंपरिक रेडी टू सर्व मॉडल पर नहीं, बल्कि एडवांस बुकिंग प्रणाली पर संचालित होगा। यहां न सिर्फ जनजातीय भोजन, बल्कि जनजातीय संस्कृति और संस्कारों की जीवंत झलक भी देखने को मिलेगी। जनजातीय व्यंजनों पर किए संग्रह और शोध को भी रेखांकित किया जाएगा।