विरोध: वेतन न मिलने पर सिरसा का कर्मचारी 125 फुट ऊंची टंकी पर चढ़ा, 3 घंटे बाद उतरा

सिरसा की मंडी किलियांवाली एरिया में जलघर की टंकी पर चढ़ा पब्लिक हेल्थ का कर्मचारी।
हरियाणा के सिरसा जिले के डबवाली के पाना गांव निवासी संदीप कुमार जो पंजाब पब्लिक हेल्थ विभाग में फीडर मैन के पद पर कार्यरत हैं, पिछले तीन महीने से वेतन न मिलने से परेशान थे। इसी के विरोध में वह मंडी किलियांवाली स्थित 125 फुट ऊंची पानी की टंकी पर चढ़ गए। इस घटना की जानकारी मिलते ही मौके पर लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई। लगभग तीन घंटे तक चले हाईवोल्टेज ड्रामा के बाद पब्लिक हेल्थ विभाग के जेई रविंद्र ने संदीप को लिखित में वेतन देने का आश्वासन दिया, जिसके बाद वह टंकी से नीचे उतर गए।
12 वर्षों से पंजाब के पब्लिक हेल्थ विभाग में कार्यरत
पब्लिक हेल्थ के फीडर मैन संदीप का आरोप है कि विभाग ने न तो उनका प्रोविजनल पीरियड तय किया है और न ही उनकी सर्विस बुक पूरी की है। उनका यह भी कहना है कि उनके बाद नियुक्त हुए कर्मचारियों को उनसे अधिक वेतन मिल रहा है, जिसके कारण उन्हें यह कदम उठाना पड़ा।
संदीप कुमार पिछले 12 वर्षों से पंजाब के पब्लिक हेल्थ विभाग में फीडर मैन के पद पर कार्यरत हैं और डबवाली के पाना गांव के रहने वाले हैं। यह घटना मंडी किलियांवाली में हुई, जो सिरसा के डबवाली से सटा हुआ है। इस क्षेत्र का आधा हिस्सा पंजाब में आता है और इसे मंडी किलियांवाली के नाम से जाना जाता है। यह हरियाणा-पंजाब सीमा से बिल्कुल सटा हुआ है, हालांकि यह घटना रविवार शाम की है, लेकिन इसका वीडियो सोमवार शाम को वायरल हुआ, जिसमें संदीप टंकी पर चढ़ा हुआ दिख रहा है।
वेतन नहीं मिला, मां बीमार रहती है, परेशान हूं...
संदीप ने अपनी परेशानी बताते हुए कहा कि पिछले तीन महीने से उन्हें वेतन नहीं मिला है, उन्हें यह नौकरी उनके पिता के निधन के बाद मिली थी। संदीप अपनी बीमार मां और बच्चों का एकमात्र सहारा हैं और वेतन न मिलने के कारण उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने जेई रविंद्र से वेतन के बारे में पूछा तो उन्हें पहले पंजाब के मलोट भेजा गया और फिर वहां से मंडी किलियांवाली वापस भेज दिया गया।
लगभग तीन घंटे तक चले इस विरोध प्रदर्शन के बाद, जेई रविंद्र मौके पर पहुंचे और संदीप के परिजनों को लिखित में वेतन देने का आश्वासन दिया। इस आश्वासन के बाद ही संदीप टंकी से नीचे उतरे. संदीप का कहना है कि विभागीय अधिकारियों की लापरवाही और अनदेखी के कारण ही उन्हें यह चरम कदम उठाना पड़ा।