राष्ट्रव्यापी हड़ताल का असर: सिरसा में रोडवेज का चक्का जाम, सरकार के खिलाफ नारेबाजी, जनजीवन प्रभावित

हड़ताल के दौरान सिरसा में मांगों के समर्थन में एकत्रित कर्मचारी।
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर कर्मचारी संगठनों की ओर से की जा रही राष्ट्रव्यापी हड़ताल का सिरसा जिले में आज व्यापक असर देखने को मिला। सुबह से ही रोडवेज कर्मचारियों ने बस अड्डा परिसर में मोर्चा संभाल लिया और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस हड़ताल के कारण रोडवेज बसों का संचालन पूरी तरह ठप हो गया, जिससे यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
लंबे रूटों पर बसें ठप
हड़ताल के चलते सिरसा से चंडीगढ़ और दिल्ली जैसे लंबे रूटों पर चलने वाली बसें बस अड्डा परिसर में ही रोक दी गईं। हालांकि, सरकार द्वारा किलोमीटर स्कीम के तहत चलाई जाने वाली कुछ बसें अपने निर्धारित रूटों पर चलीं, लेकिन ये बसें भी रोडवेज परिसर की बजाय पुलिस लाइन से संचालित की गईं, ताकि कर्मचारियों के विरोध का सामना न करना पड़े। जिला प्रशासन ने स्थिति को देखते हुए बस अड्डा और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए और भारी पुलिस बल तैनात किया।
यात्री परेशान, प्राइवेट वाहनों का सहारा
रोडवेज बसों का चक्का जाम होने से सबसे ज्यादा परेशानी यात्रियों को हुई। उन्हें अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए प्राइवेट बस संचालकों और टैक्सी चालकों का सहारा लेना पड़ा, जिससे उनकी जेब पर भी अतिरिक्त बोझ पड़ा। कई यात्रियों ने बताया कि इस हड़ताल के कारण उन्हें काफी दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं।
बिजली निगम भी शामिल
रोडवेज के अलावा, इस हड़ताल का असर बिजली निगम, बैंकिंग, बीमा, डाक और जन स्वास्थ्य विभाग सहित कई अन्य सरकारी विभागों में भी दिखाई दिया। सुबह 10 बजे के करीब बिजली निगम के कर्मचारी भी निगम कार्यालय परिसर में इकट्ठा हुए और सरकार के खिलाफ जोरदार धरना प्रदर्शन किया।
ये हैं कर्मचारियों की मुख्य मांगें
सर्व कर्मचारी संघ के नेता पृथ्वी सिंह और अन्य कर्मचारी नेताओं ने बताया कि सरकार को बार-बार चेतावनी देने के बावजूद उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जिसके चलते उन्हें मजबूरन हड़ताल करनी पड़ी है। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों की मुख्य मांगों में कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने के लिए स्थायी कानून बनाना, पुरानी पेंशन बहाल करना, सभी जन सेवाओं के विभागों का निजीकरण बंद करना और सरकारी विभागों में खाली पदों को स्थायी भर्ती के माध्यम से भरना शामिल है। इसके अलावा, श्रम कानूनों को खत्म न करने, ठेका व्यवस्था बंद करने और न्यूनतम मजदूरी को बढ़ाकर 26,000 रुपये प्रति माह करने की भी मांग की जा रही है। इस हड़ताल को किसान और मजदूर संगठनों का भी पूरा समर्थन मिल रहा है। कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।