नूंह में सर्च अभियान: 2012 में आए थे रोहिंगियां, अब 385 परिवारों के 1713 शरणार्थी

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नूंह की रोहिग्यां बस्ती में जांच करती पुलिस। 

नूंह में पहली बार 2012 में पहुंचे रोहिग्यों की संख्या अब बढ़कर 385 परिवार तक पहुंच चुकी हैं। पुलिस ने मंगलवार को मस्जिद, मदरसों व संवदेनशील स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया।

दिल्ली विस्फोट के बाद हरियाणा के नूंह में सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं। दिल्ली ब्लॉस्ट के तार जैसे जैसे नूंह से जुड़ते जा रहे हैं सुरक्षा एजेंसियों का जांच अभियान भी तेज हो रहा है। मंगलवार को सुरक्षा एजेंसियों ने नूंह में रह रहे रोहिग्यां व अवैध विदेशी नागरिकों की पहचान के लिए संघन तलाशी अभियान चलाया। सुरक्षा एजेंसियों ने नूंह, पुनहाना क्षेत्र की रोहिंग्या बस्ती में अभियान चलाया। पुलिस की कई टीमों ने सुबह से झुग्गी- झोपड़ियों में जाकर दस्तावेजों की बारीकी से जांच की। सामान की तलाशी ली और लोगों से विस्तृत पूछताछ की। पुलिस समय - समय पर ऐसे निरीक्षण और जागरूकता कार्यक्रम चलाती रहती है।


सुबह साढ़े 6 बजे पहुंची पुलिस की टीम

नूंह में सदर थाना प्रभारी के नेतृत्व में सुबह 6:30 बजे गांव चंदेनी स्थित रोहिंग्या शरणार्थी कॉलोनी में पहुंची। पुलिस टीम ने यहां रह रहे सभी रोहिंग्या शरणार्थियों यूएनएचसीआर की शरणार्थी कार्ड के आधार पर पहचान सत्यापित की गई। इस दौरान 7 व्यक्ति मौके पर नहीं मिले। हालांकि तलाशी के दौरान कोई भी अनलिस्टेड (बिना रजिस्ट्रेशन) व्यक्ति नहीं मिला। पुलिस ने स्पष्ट किया कि कॉलोनी में यदि कोई भी बाहरी व्यक्ति आता है तो तत्काल उसकी सूचना पुलिस को दें। पुलिस ने कहा कि सुरक्षा के दृष्टि से ऐसे अभियान नियमित रूप से चलते रहेंगे।

385 परिवारों में 1713 सदस्य

वर्मा में हुई हिंसा के दौरान रोहिग्यां 2012 में भारत आए थे। सरकार ने उन्हें देश के अलग अलग हिस्सों में बसाया। खून खराबा से लेकर महिलाओं की इज्जत को रौंदा जा रहा था, तो रोहिंग्या अपनी जान बचाने के लिए आए थे। उसके बाद उन्हें देश के अलग, अलग राज्यों में सरकार ने शरण दी। नूंह में भी 2012 में रोहिग्यां को अधिकारिक एंट्री मिली थी। नूंह शहर में अड्डा के समीप , शाहपुर नंगली , चंदेनी , फिरोजपुर नमक इत्यादि गांवों में रोहिंग्या के करीब 400 परिवार आकर बस गए। जो झुग्गियां बनाकर परिवार के साथ रहने लगे। फिलहाल नूंह रोहिंग्या शरणार्थियों की वर्तमान संख्या 385 परिवारों में कुल 1,713 (महिला, पुरुष, बच्चे सहित) है।

क्या बोले रोहिग्यां

रोहिग्यां ने बताया कि उन्होंने अपनी जान बचाने के लिए वर्मा से आकर हिंदुस्तान में शरण ली थी। यहां लोगों में आपसी सहयोग व प्यार की भावना है। एक दूसरे की मदद भी करते हैं। समस-समय पर पुलिस जांच करती रहती है । अब उन्हें भारत अपना लगने लगा , लेकिन वे यहां नागरिकता लेने के लिए यहां नहीं आएञ वर्मा के हालात अभी भी ठीक होते ही वापस चले जाएंगे। तब तक भारत सरकार अपने मुल्क में ही शरण दे। नूंह में रहने वाले सभी रोहिंग्या मुस्लिम हैं।

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