हरियाणा-राजस्थान सीमा पर जल विवाद गहराया: भिवाड़ी महापंचायत के बाद तनाव, 500 पुलिसकर्मी तैनात

हरियाणा-राजस्थान सीमा पर तैनात पुलिस।
हरियाणा-राजस्थान सीमा पर स्थित रैंप को तोड़ने के मुद्दे पर जारी विवाद अब और गहराता जा रहा है। इसी संबंध में रविवार को राजस्थान के भिवाड़ी शहर में एक बड़ी महापंचायत का आयोजन किया गया। महापंचायत के बाद राजस्थान के एक प्रतिनिधिमंडल ने रेवाड़ी प्रशासन से मुलाकात कर इस जटिल समस्या के समाधान पर बातचीत की। रेवाड़ी के प्रशासनिक अधिकारियों ने भी बैठक कर इस मुद्दे को बातचीत से सुलझाने पर ज़ोर दिया है।
15 जुलाई को होगी महत्वपूर्ण बैठक
रेवाड़ी प्रशासन के साथ बैठक करने के लिए राजस्थान के प्रतिनिधिमंडल ने सहमति जताई। जब एसडीएम सुरेंद्र सिंह ने प्रतिनिधिमंडल से बात की, तो उन्होंने डीसी अभिषेक मीणा से चर्चा की। अब इस मुद्दे पर 15 जुलाई को रेवाड़ी लघु सचिवालय में एक महत्वपूर्ण बैठक तय की गई है। इस बैठक में राजस्थान और हरियाणा के प्रतिनिधियों के साथ रेवाड़ी प्रशासन मिलकर बातचीत के ज़रिए स्थायी समाधान खोजने का प्रयास करेगा।
केंद्रीय मंत्री की चेतावनी से बढ़ा था विवाद
इस सीमा विवाद पर तनाव पहले से ही बना हुआ था, लेकिन 15 जून को केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के एक बयान ने इसे और गरमा दिया था। उन्होंने हरियाणा के एक मंच से राजस्थान के तिजारा विधायक बाबा बालकनाथ को कड़ी चेतावनी दी थी, जिसके बाद दोनों राज्यों के बीच इस पानी के मुद्दे पर तकरार बढ़ गई थी।
रेवाड़ी बॉर्डर पर कड़ी सुरक्षा
फिलहाल, रेवाड़ी प्रशासन किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से सतर्क है। सीमा पर डीएसपी हेडक्वार्टर रविंद्र कुमार के नेतृत्व में लगभग 500 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। प्रशासन ने बॉर्डर को जेसीबी और ट्रैक्टर लगाकर पूरी तरह से ब्लॉक कर दिया है। अधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी कीमत पर रैंप को तोड़ने नहीं दिया जाएगा। सीमा पर स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है, लेकिन प्रशासन लगातार हालात पर नज़र बनाए हुए है ताकि शांति व्यवस्था बनी रहे।
धारूहेड़ा के लोग रैंप हटाने के खिलाफ एकजुट
नेशनल हाईवे 919 पर धारूहेड़ा के स्थानीय निवासी भी बड़ी संख्या में मौजूद हैं, जो इस रैंप को हटाने के सख्त खिलाफ हैं। उनका कहना है कि यह रैंप जलभराव और रासायनिक प्रदूषण की गंभीर समस्या से निपटने के लिए बनाया गया था, जिसकी मार धारूहेड़ा के लोग पिछले 30 सालों से झेल रहे थे।
स्थानीय लोगों ने ज़ोर देकर कहा कि वे किसी भी तरह के अनावश्यक विवाद से बचना चाहते हैं, और उनका एकमात्र उद्देश्य इस समस्या का एक स्थायी समाधान खोजना है। धारूहेड़ा के निवासियों ने प्रशासन पर पूरा भरोसा जताते हुए कहा कि रैंप को किसी भी कीमत पर नहीं हटने दिया जाएगा, क्योंकि यह उनके जीवन और पर्यावरण से जुड़ा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।उधर, महापंचायत स्थल पर भिवाड़ी की ओर से भी भारी संख्या में पुलिस बल और वरिष्ठ अधिकारी तैनात हैं, जो स्थिति पर बारीकी से नज़र रख रहे हैं। हालांकि, हरियाणा और भिवाड़ी प्रशासन के अधिकारियों ने इस संवेदनशील मुद्दे पर अभी तक कोई भी आधिकारिक बयान जारी करने से मना किया है।
लोग लंबे समय से गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे
यह पूरा विवाद हरियाणा और राजस्थान की भौगोलिक स्थिति से जुड़ा है। हरियाणा-राजस्थान सीमा पर एक तरफ धारूहेड़ा शहर है, जबकि दूसरी तरफ राजस्थान का औद्योगिक शहर भिवाड़ी है। भिवाड़ी शहर ऊंचाई पर बसा हुआ है, जबकि धारूहेड़ा ढलान पर स्थित है।
बारिश के मौसम में भिवाड़ी शहर का सारा पानी ढलान की वजह से धारूहेड़ा की तरफ बहकर आ जाता है। समस्या तब और बढ़ जाती है, जब भिवाड़ी के औद्योगिक क्षेत्र के फैक्ट्री संचालक अपना रासायनिक अपशिष्ट (वेस्ट) भी इसी बारिश के पानी में छोड़ देते हैं। यह प्रदूषित पानी धारूहेड़ा शहर और उसके आसपास के गांवों में घुस जाता है, जिससे वहां के लोग लंबे समय से गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री के निर्देश पर बना था रैंप
इस समस्या के समाधान के लिए पहले भी प्रयास किए गए थे। जब हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर अपनी जन आशीर्वाद यात्रा लेकर रेवाड़ी पहुँचे थे, तब धारूहेड़ा के लोगों ने उन्हें सीमा पर मौजूदा भयावह स्थिति से अवगत कराया था। हालात की गंभीरता को देखते हुए, पूर्व मुख्यमंत्री ने तुरंत बॉर्डर पर एक रैंप बनाने के निर्देश दिए थे।
इस रैंप के बनने के बाद, भिवाड़ी का पानी हरियाणा की तरफ नहीं आया, जिससे धारूहेड़ा को राहत मिली। लेकिन इसका परिणाम यह हुआ कि भिवाड़ी में पानी भर गया और वहाँ के हालात खराब हो गए। इसके बाद, भिवाड़ी के लोगों ने उस रैंप को तोड़ दिया था। रैंप तोड़े जाने के तुरंत बाद, उसे दोबारा बनवाया गया था, जो अब फिर से विवाद का केंद्र बन गया है।
केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत की कड़ी फटकार
इस विवाद में उस समय और तेज़ी आई, जब केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के मंच पर मौजूद राजस्थान के तिजारा से विधायक बाबा बालकनाथ को खुले तौर पर फटकार लगाई थी। राव ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि भिवाड़ी के पानी के मुद्दे पर वे बाबा बालकनाथ का हस्तक्षेप बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेंगे, जिससे यह राजनीतिक मुद्दा भी बन गया है। अब सबकी निगाहें 15 जुलाई को होने वाली बैठक पर टिकी हैं, जहां उम्मीद की जा रही है कि इस लंबे समय से चले आ रहे पानी के विवाद का कोई स्थायी और शांतिपूर्ण समाधान निकल पाएगा।