पांच वर्ष से गैरहाजिर हैं एक IAS: यूपी की IAS रानी नागर को हरियाणा सरकार करेगी जबरन रिटायर, खट्टर ने इस्तीफा किया था नामंजूर

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हरियाणा की आईएएस रानी नागर। 

हरियाणा कैडर की IAS रानी नागर करीब पांच वर्ष से गैरहाजिर हैं। वे कई विवादों के बाद जान का खतरा बताते हुए 2020 में अपने घर यूपी चली गई थीं। उनका इस्तीफा तत्कालीन सीएम मनोहर लाल खट्टर ने नामंजूर कर दिया था, लेकिन अब उन्हें रिटायर करने की तैयारी की जा रही है।

पांच वर्ष से गैरहाजिर हैं एक IAS : हरियाणा कैडर की 2014 बैच की IAS अधिकारी रानी नागर एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार उनकी जबरन रिटायरमेंट को लेकर हरियाणा सरकार द्वारा केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय (DOPT) को प्रस्ताव भेजा गया है। जानकारी के अनुसार, मुख्य सचिव की ओर से रानी नागर को सेवा समाप्ति से संबंधित चौथा नोटिस भेजा गया है, लेकिन उन्होंने अब तक इसका कोई जवाब नहीं दिया है। रानी नागर मूल रूप से उत्तर प्रदेश की निवासी हैं, लेकिन उन्होंने अपनी सेवा हरियाणा में दी है। पिछले कुछ वर्षों में वह कई गंभीर विवादों के केंद्र में रही हैं, जिनमें वरिष्ठ अधिकारियों पर उत्पीड़न के आरोप, सुरक्षा को लेकर चिंता और सेवा से इस्तीफा शामिल हैं। फिलहाल वह ड्यूटी से गैरहाजिर हैं और साल 2020 के बाद से कोई सक्रिय प्रशासनिक जिम्मेदारी नहीं संभाल रहीं।

इन विवादों से घिरी रही हैं रानी नागर

1. रानी नागर का प्रशासनिक करियर शुरुआती वर्षों से ही विवादों से प्रभावित रहा है। जून 2018 में, जब वह पशुपालन विभाग में अतिरिक्त सचिव थीं, तब उन्होंने विभाग के तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव पर दुर्व्यवहार और उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए थे। इसके बाद से ही वह मीडिया और सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बनी रहीं।

2. डबवाली में SDM रहते हुए भी उन्होंने एक ऑटो ड्राइवर से जान का खतरा बताया था और तत्कालीन डीजीपी को पत्र लिखकर सुरक्षा की मांग की थी। इसी क्रम में उन्होंने कई बार आरोप लगाया कि उनकी सुरक्षा को लेकर प्रशासन गंभीर नहीं है।

3. रानी नागर ने 2020 में एक वीडियो जारी कर आरोप लगाया था कि उन्हें चंडीगढ़ के यूटी गेस्ट हाउस में जान से मारने की कोशिश की गई। उनका कहना था कि भोजन में लोहे की कीलें तक मिली थीं। इस गंभीर आरोप ने पूरे मामले को और संवेदनशील बना दिया। उन्होंने इसे अदालत में विचाराधीन एक केस से भी जोड़ा।

4. लॉकडाउन के वक्त रानी नागर ने यूटी गेस्ट हाउस में रहते हुए कहा था कि कुछ वरिष्ठ अफसरों के खिलाफ उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। वे गेस्‍ट हाउस में खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं क्योंकि उन्हें सुरक्षा भी नहीं दी गई है। इसलिए वे कर्फ्यू के बाद इस्‍तीफा देकर अपने घर गाजियाबाद लौट जाएंगी।

इस्तीफे से मचा था हड़कंप, सरकार ने मंजूर नहीं किया

मई 2020 में जब रानी नागर ने अपने पद से इस्तीफा दिया, तब पूरे देश में यह मामला सुर्खियों में आ गया था। उन्होंने इस्तीफे की वजह खुद की और अपनी बहन की सुरक्षा बताई थी। हालांकि, राज्य सरकार ने उनका इस्तीफा अस्वीकार कर दिया और उन्हें वापस ड्यूटी पर लौटने को कहा गया। इसके बावजूद वह हरियाणा में सक्रिय सेवा में नहीं लौट सकीं और अपने घर गाजियाबाद लौट गईं।

मायावती ने भी किया था समर्थन

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भी उस वक्त IAS अधिकारी रानी नागर के समर्थन में बयान दिया था और उनके साथ न्याय की मांग की थी। इसके बाद राजनीतिक रंग भी इस पूरे मामले को मिलने लगा। वहीं, हरियाणा के तत्कालीन केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने ट्वीट कर बताया था कि मुख्यमंत्री ने रानी का इस्तीफा नामंजूर कर दिया है। अब एक बार फिर यह मामला सुर्खियों में है क्योंकि अब सरकार खुद ही उन्हें रिटायर करवाना चाहती है।

रानी नागर ने कहा- वे कोर्ट में लड़ाई लड़ेंगी

हरियाणा कैडर की IAS अधिकारी रानी नागर को उनके इस्तीफे को लेकर तब जनता का भरपूर समर्थन मिला। सोशल मीडिया पर लोगों ने उनकी निजी सुरक्षा और आर्थिक तंगी को लेकर चिंता जताई। इसके बाद रानी नागर ने एक फेसबुक पोस्ट में अपील की कि उनका इस्तीफा जल्द स्वीकार किया जाए ताकि उन्हें पेंशन फंड मिल सके और वे जीवनयापन कर सकें। उन्होंने कहा कि प्रदर्शन या आंदोलन न किया जाए और न्याय की उम्मीद वे केवल न्यायपालिका से करती हैं।

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