पानीपत मंदिर में हिंसा: हवन कर रहे लोगों पर हमला, पुलिस के सामने भी हुई पिटाई

मारपीट के बाद अस्पताल में पहुंचे लोग।
हरियाणा के पानीपत जिले के बापौली गांव स्थित आर्य समाज मंदिर में रविवार को एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां हवन कर रहे श्रद्धालुओं पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया। स्थिति तब और बिगड़ गई जब पुलिस के पहुंचने के बावजूद हमलावरों ने अपनी मारपीट जारी रखी। इस हमले का आरोप गांव की सरपंच के पति और उनके साथियों पर लगा है।
मंदिर की जमीन पर विवाद की जड़
यह विवाद मंदिर परिसर की जमीन को लेकर शुरू हुआ। बताया जा रहा है कि मंदिर की कुछ जमीन पर बस स्टॉप बनाने की योजना थी, जिसके लिए सरपंच डिंपल के पति शिवकुमार रावल प्रयासरत थे। शुरू में मंदिर ट्रस्ट से जुड़े पदाधिकारियों ने बस स्टॉप बनाने की मौखिक सहमति दे दी थी, लेकिन बाद में उन्होंने अपना मन बदल लिया और जमीन देने से इनकार कर दिया।
सरपंच पति ने जड़ा मंदिर पर ताला
जमीन देने से इनकार किए जाने के बाद शिवकुमार रावल कथित तौर पर नाराज हो गए। इसी गुस्से में उन्होंने करीब 10 दिन पहले मंदिर के मुख्य गेट पर ताला जड़ दिया था। यह कार्रवाई मंदिर के संचालन और धार्मिक गतिविधियों में बाधा बन गई।
ताला तोड़कर हवन करना पड़ा महंगा
रविवार की सुबह, मंदिर ट्रस्ट के सदस्य हवन करने के उद्देश्य से शिवकुमार रावल से ताले की चाबी मांगने गए। शिवकुमार ने चाबी देने से साफ मना कर दिया, जिसके बाद ट्रस्ट के लोगों ने मजबूरन ताला तोड़ दिया और हवन शुरू कर दिया। ताला तोड़ने और हवन शुरू होने की खबर मिलते ही शिवकुमार रावल अपने कुछ साथियों के साथ मंदिर पहुंच गए।
पुलिस के सामने भी मारपीट
प्रत्यक्षदर्शियों और सामने आए वीडियो के अनुसार, शिवकुमार और उनके साथियों ने वहां हवन कर रहे जितेंद्र वर्मा, नवीन कुमार और अन्य श्रद्धालुओं पर हमला कर दिया। वीडियो में साफ दिख रहा है कि लोगों को जमीन पर गिराकर लात-घूंसे मारे जा रहे हैं। तनावपूर्ण माहौल को देखते हुए पुलिस को सूचित किया गया और घटनास्थल पर पुलिस बल बुलाया गया। हालांकि, चौंकाने वाली बात यह रही कि पुलिस कर्मचारियों की मौजूदगी में भी हमलावरों ने मारपीट जारी रखी। पुलिसकर्मियों को बीच-बचाव कर घायलों को बचाना पड़ा। इस हमले में घायल हुए लोगों को सिविल अस्पताल ले जाया गया है।
पुलिस ने फिलहाल दोनों पक्षों को थाने बुलाया है और मामले की जांच जारी है। इस घटना को लेकर अभी तक सरपंच या उनके पति और पुलिस प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। यह घटना धार्मिक स्थल पर हिंसा और कानून-व्यवस्था के खुले उल्लंघन पर गंभीर सवाल खड़े करती है, खासकर तब जब पुलिस की मौजूदगी में भी हमलावरों का दुस्साहस जारी रहा। उम्मीद है कि प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस कदम उठाएगा।