HSSC ग्रुप-C संशोधित रिजल्ट विवाद: 781 की नौकरी पर संकट, 1699 नए नाम जुड़े, हाईकोर्ट में अगली सुनवाई 16 जुलाई को

Haryana job dispute
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पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट।

पीठ ने फाइल पुटअप नहीं की, जिससे हजारों युवाओं का भविष्य अधर में लटक गया। यह विवाद 14 जून को जारी संशोधित परिणाम से जुड़ा है, जिस पर हाईकोर्ट ने पहले ही रोक लगा दी थी।

हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSC) की ओर से 14 जून 2025 को जारी किए गए ग्रुप-C पदों के संशोधित परिणाम पर आज 7 जुलाई को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी। सुनवाई टलने का मुख्य कारण यह रहा कि पीठ ने इस महत्वपूर्ण मामले की फाइल को ही पुटअप नहीं किया। हालांकि, कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 16 जुलाई की नई तारीख तय कर दी है। यह मामला हजारों युवाओं के भविष्य से जुड़ा है, जहां संशोधित परिणाम के चलते 781 लोगों की नौकरी पर तलवार लटक गई है, जबकि 1699 नए अभ्यर्थियों को चयन सूची में जगह मिली है।

संशोधित परिणाम पर हाईकोर्ट की पहले ही थी रोक

गौरतलब है कि हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग द्वारा जारी किए गए इस संशोधित परिणाम पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पहले ही रोक लगा दी थी। यह संशोधन पिछड़े वर्ग के प्रमाण पत्रों से जुड़े एक पुराने हाईकोर्ट के फैसले के आधार पर किया गया था। इस संशोधन के कारण कई उम्मीदवारों की श्रेणी (कैटेगरी) बदल गई थी या वे मेरिट सूची से बाहर हो गए थे, जिस पर कुछ पहले से चयनित उम्मीदवारों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर परिणाम पर रोक लगाने की मांग की थी।

HPSC की अपील के साथ होगी सुनवाई

अब हाईकोर्ट ने इस संशोधित परिणाम पर रोक जारी रखते हुए स्पष्ट किया है कि इस मामले की सुनवाई हरियाणा लोक सेवा आयोग (HPSC) की अपील के साथ की जाएगी। यह कदम मामले की जटिलता और इसके दूरगामी प्रभावों को दर्शाता है।

14 जून को जारी हुआ था संशोधित रिजल्ट

एचएसएससी ने पहले ग्रुप-सी पदों के लिए उन पिछड़े वर्ग श्रेणी के प्रमाण पत्रों को स्वीकार नहीं किया था जो कट ऑफ डेट के बाद जारी हुए थे। इस मामले को जस्टिस जगमोहन बंसल की खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी गई थी, और खंडपीठ ने एचएसएससी के इस फैसले को रद्द कर दिया था। जस्टिस बंसल के इस फैसले के आधार पर, एचएसएससी ने 14 जून, 2025 को ग्रुप-सी पदों के लिए संशोधित परिणाम जारी किया। इस संशोधित परिणाम को तुरंत हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, और जस्टिस संदीप मौदगिल की खंडपीठ ने इस पर रोक लगाते हुए याचिकाओं को एचपीएससी की तरफ से दायर समान अपीलों के साथ सुनवाई का आदेश जारी कर दिया।

781 लोगों की नौकरी पर खतरा

इस संशोधित परिणाम का सीधा असर हजारों उम्मीदवारों पर पड़ा है। जानकारी के अनुसार, संशोधित परिणाम में करीब 1699 से अधिक नए अभ्यर्थियों का चयन हुआ है, जिन्हें अब नौकरी मिलने की उम्मीद है। वहीं, जो लोग पहले नौकरी पा चुके थे, उनमें से 781 लोग इस संशोधन के कारण अब चयन सूची से बाहर हो गए हैं, जिससे उनकी नौकरी पर गंभीर खतरा पैदा हो गया है। इसके अतिरिक्त, कई अन्य अभ्यर्थियों की श्रेणी भी बदल गई है, जिससे उनके चयन की स्थिति अनिश्चित हो गई है। आयोग की वेबसाइट पर यह अंतिम संशोधित परिणाम शनिवार सुबह चार बजे अपलोड किया गया था, जिसने कई परिवारों के लिए खुशी और चिंता दोनों लेकर आया।

कई अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी

यह विवाद 2024 अक्टूबर में ग्रुप-सी का परिणाम घोषित होने के बाद शुरू हुआ था। इस परिणाम को कई अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इनमें से अधिकतर वे अभ्यर्थी थे जिनके आवेदन निरस्त कर दिए गए थे क्योंकि भर्ती विज्ञापन में 1 अप्रैल 2023 से पहले के पिछड़ा वर्ग प्रमाण पत्रों को अवैध मान लिया गया था। इस पर कई युवा हाईकोर्ट पहुंचे और परिणाम को चुनौती देते हुए तर्क दिया कि हरियाणा सरकार के पास परिवार पहचान पत्र (PPP) का पूरा डेटा मौजूद है। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि सरकार और आयोग परिवार पहचान पत्र के डेटा का उपयोग करके उनकी जाति की पुष्टि आसानी से कर सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा न करके उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी, जो कि गलत है। अब 16 जुलाई को होने वाली अगली सुनवाई पर सबकी निगाहें टिकी हैं।

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