हरियाणा का नया न्याय मॉडल: नाबालिग रेप केस में 140 दिन में मौत की सजा, 95% पहुंची अपराधों की सजा दर

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी।
हरियाणा ने आपराधिक न्याय के क्षेत्र में एक अभूतपूर्व मिसाल कायम की है। राज्य में लागू किए गए नए आपराधिक कानूनों की बदौलत एक नाबालिग के बलात्कार के जघन्य मामले में मात्र 140 दिनों के भीतर दोषी को मौत की सजा सुनाई गई है। यह एक ऐसा परिणाम है जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी, लेकिन अब यह हरियाणा में हकीकत बन चुका है। सूबे के गृह विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) डॉ. सुमिता मिश्रा ने इस उपलब्धि पर प्रकाश डालकर बताया कि मामले के अलावा भी कई अन्य आपराधिक मुकदमे 20 दिनों से भी कम समय में पूरे हुए हैं, जो त्वरित न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम है।
उच्च प्राथमिकता वाले मामलों में रिकॉर्ड तोड़ सजा दर
डॉ. सुमिता मिश्रा ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि हरियाणा में उच्च प्राथमिकता वाले चिह्नित अपराधों के मामलों में, कई जिलों में सजा दर 95% से भी अधिक हो गई है। यह दर्शाता है कि राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन जघन्य अपराधों के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रहे हैं। उन्होंने कहा कि 'चिह्नित अपराध पहल' के तहत, 1,683 जघन्य मामलों को सख्ती से फास्ट-ट्रैक किया गया है। इन सभी मामलों की उच्चतम स्तर पर लगातार निगरानी की गई है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि न्याय प्रक्रिया में कोई देरी न हो।
राष्ट्रीय फोरेंसिक प्रदर्शनी में हरियाणा मॉडल की चर्चा
नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित हालिया राष्ट्रीय फोरेंसिक प्रदर्शनी में हरियाणा के इस विशिष्ट मॉडल की खूब चर्चा हुई। प्रदर्शनी के दौरे के बाद मीडियाकर्मियों से बातचीत में डॉ. मिश्रा ने बताया कि हरियाणा ने आधुनिक प्रौद्योगिकी, उन्नत फोरेंसिक बुनियादी ढांचे व नए आपराधिक कानूनों के तहत पुलिसकर्मियों को दिए गहन प्रशिक्षण ने राष्ट्रीय मानक स्थापित किए हैं। राज्य के समग्र और प्रौद्योगिकी-संचालित मॉडल की सराहना की जा रही, जो अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणा स्रोत है।
54 हजार से अधिक पुलिस कर्मियों को विशेष प्रशिक्षण
डॉ. मिश्रा ने बताया कि भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) जैसे नए आपराधिक कानूनों के सूक्ष्म प्रावधानों में 54,000 से अधिक पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है। इस प्रशिक्षण के दौरान केवल कानूनी समझ पर ही नहीं, बल्कि पीड़ित-संवेदी जांच, डिजिटल एकीकरण और आधुनिक साक्ष्य प्रबंधन पर भी विशेष बल दिया गया। राज्य पुलिस बलों के बीच कानूनी शिक्षा को बढ़ावा देने के मकसद से, 37,889 अधिकारियों को आईजीओटी कर्मयोगी प्लेटफॉर्म पर भी डाला गया है, जिससे वे लगातार अपनी कानूनी जानकारी को अपडेट कर सकें।
डिजिटल पुलिसिंग में लंबी छलांग
डॉ. मिश्रा ने बताया कि ई-समन और ई-साक्ष्य जैसे प्लेटफार्मों के सफल कार्यान्वयन के दम पर हरियाणा ने डिजिटल पुलिसिंग में एक लंबी छलांग लगाई है। आंकड़े बताते हैं कि अब 91.37% से अधिक समन इलेक्ट्रॉनिक रूप से जारी किए जाते हैं, जबकि शत-प्रतिशत तलाशी और जब्ती डिजिटल तरीके से दर्ज की जाती हैं। यह प्रक्रिया न केवल समय बचाती है बल्कि पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता भी लाती है।
यह भी उल्लेखनीय है कि 67.5% गवाहों और शिकायतकर्ताओं के बयान ई-साक्ष्य मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए दर्ज किए जा रहे हैं। इससे न केवल साक्ष्य संग्रह का मानकीकरण हो रहा है बल्कि जांच में पारदर्शिता और विश्वसनीयता भी बढ़ रही है।
महिला और बाल सुरक्षा पर विशेष ध्यान
राज्य ने लिंग-संवेदी न्याय के दृष्टिकोण को भी मजबूती प्रदान की है। गुरुग्राम, फरीदाबाद और पंचकूला में पॉक्सो अधिनियम के तहत फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय स्थापित किए गए हैं। इन न्यायालयों के माध्यम से महिलाओं और बच्चों के खिलाफ जघन्य अपराधों में तेजी से सुनवाई सुनिश्चित हो रही है, जिससे पीड़ितों को जल्द से जल्द न्याय मिल सके।
गवाहों की जांच के लिए अत्याधुनिक फोरेंसिक ढांचा
नए आपराधिक कानूनों के तहत, गवाहों की जांच अब केवल पारंपरिक अदालतों तक ही सीमित नहीं है। गृह विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. मिश्रा ने बताया कि अब गवाहों की जांच विशेष स्थानों पर भी की जा सकती है, जिनमें सरकारी कार्यालय, बैंकों के साथ साथ सरकार की ओर से अधिसूचित किए जाने वाले अन्य स्थान शामिल हैं। प्रदेश के सभी जिलों में ऑडियो, वीडियो इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से गवाहों की जांच के लिए 2,117 विशेष स्थान बनाए हैं, जिससे पहुंच और सुविधा में वृद्धि हुई है। इसके अलावा सभी जिलों में महिलाओं व कमजोर गवाहों के लिए विशेष वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग रूम की सुविधा भी उपलब्ध है, ताकि वे बिना किसी दबाव के बयान दर्ज करा सकें।
आधुनिक साइबर फोरेंसिक उपकरण खरीदे
फोरेंसिक ढांचे का राज्य ने बड़े पैमाने पर विस्तार कर दिया है। अब प्रत्येक जिले में मोबाइल फोरेंसिक वैन के साथ ही बड़े जिलों में 2 वैन तैनात की गई हैं। वहीं 68.70 करोड़ से आधुनिक साइबर फोरेंसिक उपकरण खरीदे हैं। प्रदेश सरकार ने 208 नए फोरेंसिक पदों को मंजूरी दी है, जिनमें 186 पद भरे जा चुके हैं, जिससे सघन जांच को और मजबूती मिली है। ये सभी कदम हरियाणा को अपराध नियंत्रण और त्वरित न्याय दिलाने में अग्रणी राज्य बना रहे हैं।