RTI: एक्टिविस्ट को 80 हजार में मिला 37 हजार से ज्यादा पन्नों में जवाब, कुरुक्षेत्र में विभाग पर घोटाला छिपाने का आरोप

RTI activist
X

हरियाणा के कुरुक्षेत्र में सूचना का अधिकार के तहत भेजा गया उत्तर। 

एक्टिविस्ट ने विभाग से दो साल का लेखा-जोखा मांगा था। उन्होंने विभाग पर करोड़ों का घोटाला छिपाने का आरोप लगाकर कहा कि ये पैसे सरकारी खजाने में जमा नहीं हुए। उन्होंने राज्य सूचना आयुक्त के पास अपील दायर की है। वहीं, विभाग का कहना है कि नियमों के तहत 2 रुपये प्रति पेज के हिसाब से ही जानकारी दी है।

हरियाणा के कुरुक्षेत्र में एक RTI एक्टिविस्ट को सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम के तहत जानकारी मांगना महंगा पड़ गया। पब्लिक हेल्थ विभाग से पिछले 2 साल का लेखा-जोखा मांगने पर विभाग के अधिकारियों ने उसे करीब एक क्विंटल (100 किलो) कागज भेज दिए, जिनमें 37 हजार से ज्यादा पन्ने शामिल थे। एक्टिविस्ट का आरोप है कि इस भारी-भरकम जानकारी के लिए उससे 80 हजार रुपये भी वसूले गए।

यह जानकारी भी तब उपलब्ध कराई गई, जब कुरुक्षेत्र के डीसी (उपायुक्त) ने विभाग के अधिकारियों को फटकार लगाई। हालांकि, एक्टिविस्ट का दावा है कि जो जानकारी भेजी गई है, वह अभी भी पूरी नहीं है और इसमें कई ऐसे पेज हैं जिनकी उसे जरूरत नहीं थी। इसके खिलाफ उसने राज्य सूचना आयुक्त के पास अपील दायर की है। वहीं, विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नियमों के तहत प्रति पेज 2 रुपये के हिसाब से पैसे लेकर जानकारी भेजी गई है।

ये है पूरा मामला

कुरुक्षेत्र के सेक्टर 13 में बुक डिपो चलाने वाले पंकज अरोड़ा ने इस पूरे मामले की जानकारी मीडिया को दी।

• RTI लगाई और पैसे की मांग : पंकज अरोड़ा ने बताया कि उन्होंने 30 जनवरी 2025 को पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट कुरुक्षेत्र में 15 बिंदुओं पर जानकारी मांगते हुए एक RTI लगाई थी, 3 फरवरी को विभाग ने उन्हें दो पत्र भेजे। एक पत्र में एक्सईएन (कार्यकारी अभियंता) अपने विभाग के SDO (उपमंडल अधिकारी) और JE (जूनियर इंजीनियर) को यह आदेश दे रहे थे कि कितने पेज की RTI बनेगी और आवेदक से कितने पैसे जमा कराने हैं।

• एक ही दिन में 85 हजार की मांग: उसी दिन शाम को उन्हें दूसरा पत्र मिला, जिसमें उनसे 85 हजार रुपये जमा कराने के लिए कहा गया। पंकज अरोड़ा ने जब विभाग से एक ही दिन में दो-दो पत्र भेजने पर सवाल किया, तो उन्हें बताया गया कि 85 हजार रुपये जमा कराना अनिवार्य है।

• पैसे जमा किए, पर जानकारी नहीं मिली : पंकज अरोड़ा ने बताया कि उन्हें बताया गया कि 80 हजार रुपये सूचना देने के लिए हैं और 5 हजार रुपये पोस्टल चार्जेस लगेंगे। जब उन्होंने कहा कि RTI में पोस्टल चार्जेस नहीं लिए जा सकते, तो विभाग ने सिर्फ 80 हजार रुपये जमा कराने को कहा। उन्होंने 10 फरवरी को 10 हजार रुपये और फिर 5 मार्च को 70 हजार रुपये जमा करा दिए, कुल 80 हजार रुपये। इतनी राशि देने के बावजूद उन्हें जानकारी नहीं दी गई।

• DC के हस्तक्षेप के बाद मिले 37 हजार पेज : जानकारी न मिलने पर, पंकज अरोड़ा को मुख्यमंत्री नायब सैनी, राज्यपाल और सचिव को मेल करनी पड़ी। उन्होंने कुरुक्षेत्र के डीसी को भी मेल की थी। डीसी ने 24 अप्रैल को उनकी मेल का संज्ञान लेते हुए एक्सईएन को जानकारी देने का पत्र लिखा। इसके बाद भी विभाग के अधिकारी जानकारी छिपाते रहे। अंततः, उन्होंने पंकज अरोड़ा को 37 हजार 443 पेज की जानकारी भेज दी।

लाखों का घोटाला छुपाने का आरोप

पंकज अरोड़ा का दावा है कि भेजे गए हजारों पेज ऐसे हैं, जिनकी उन्हें जरूरत ही नहीं थी। उन्होंने यह भी गंभीर आरोप लगाया कि उनसे 80 हजार रुपये ले लिए गए, लेकिन उन्हें सरकारी खजाने में जमा नहीं किया गया। उन्होंने 10 हजार का ड्राफ्ट PNB और 70 हजार का बैंकर चेक बनाकर दिया था। एक्टिविस्ट का मानना है कि विभाग करोड़ों का घोटाला छुपाने के लिए यह सब कर रहा है। उन्होंने अब राज्य सूचना आयोग में अपील दायर की है, जिसे स्वीकार कर लिया गया है।

RTI एक्टिविस्ट ने ये जानकारी मांगी थी

पंकज अरोड़ा ने अपनी RTI में कुरुक्षेत्र एक्सईएन ऑफिस से 15 महत्वपूर्ण बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी, जिनमें से कुछ प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं :-

• टेंडर विवरण : 1 जनवरी 2023 से 1 जनवरी 2025 तक विभाग के सभी डिवीजनों में ऑनलाइन और ऑफलाइन हुए टेंडरों का विवरण, उनके प्रकाशन का माध्यम (अखबार/वेबसाइट) और ऑफलाइन टेंडर की प्रक्रिया।

• आउटसोर्सिंग कर्मचारी : सभी सब-डिवीजनों में हरियाणा कौशल रोजगार योजना या आउटसोर्सिंग के तहत काम पर रखे गए व्यक्तियों के नाम, पद, पता और उनकी हाजिरी का तरीका।

• ठेकेदारों और बिलों का विवरण : 1 जनवरी 2023 से 1 जनवरी 2025 के बीच जिन ठेकेदारों को टेंडर दिए गए, उनके लाइसेंस की कॉपी, ठेकेदारों को मिले टेंडर, उनके द्वारा जमा किए गए बिलों की कॉपी, बिल पास करने वाले अधिकारी और काम की जांच करने वाले अधिकारियों की जानकारी।

• GST पेमेंट : कुरुक्षेत्र जिले के सभी सब-डिवीजनों में हुए टेंडर वर्क में ठेकेदारों द्वारा भरे गए GST की पेमेंट डिटेल (1 जनवरी 2023 से 1 जनवरी 2025 तक)।

• विभाग के खर्च : 1 जनवरी 2023 से 1 जनवरी 2025 तक विभाग के सभी खर्चों का विवरण (स्टेशनरी, टीए-डीए, टेलीफोन बिल, बिजली बिल, मेडिकल क्लेम आदि)।

• विभागीय जांचें: विभाग में कार्यरत कर्मचारियों (क्लास वन से क्लास फोर तक) के खिलाफ चल रही विभागीय या भ्रष्टाचार की जांचों की जानकारी, साथ ही पिछले 10 वर्षों में जिन कर्मचारियों पर जांच हुई है, उनकी सत्यापित प्रतियां।

• अधिकारियों की संपत्ति और सेवा रिकॉर्ड : कुरुक्षेत्र जिले के सभी सब-डिवीजनों में तैनात अधिकारियों के पिछले तीन सालों के फॉर्म 16-A, घोषित संपत्ति की सूचना और सर्विस रिकॉर्ड बुक की इलेक्ट्रॉनिक प्रति।

• कोर्ट केस और वकीलों की फीस: विभाग से जुड़े सभी लंबित कोर्ट केसों की जानकारी, लगे वकीलों की सूची और पिछले 10 वर्षों में उन्हें दी गई फीस।

• पानी और सीवरेज लाइनें: 1 जनवरी 2021 से 30 जनवरी 2025 के बीच पानी और सीवरेज की लाइनें कहां-कहां बिछाई गईं, इसका पूरा विवरण। यदि अवैध कॉलोनी में डाली गई हैं, तो किसके आदेश से।

• अधिकारियों की शैक्षणिक योग्यता: 1 जनवरी 2023 से 1 जनवरी 2025 तक विभाग में तैनात कार्यकारी अभियंता, उपमंडल अधिकारी और जूनियर इंजीनियर के नाम, शैक्षणिक योग्यता और वर्तमान निवास स्थान।

• आय-व्यय और ऑडिट रिपोर्ट: विभाग की 1 जनवरी 2020 से 30 मई 2024 तक की कुल आय, कुल खर्च और ऑडिट रिपोर्ट।

• LOC (लेटर ऑफ क्रेडिट) विवरण: 1 जनवरी 2023 से 1 जनवरी 2025 तक विभाग को जारी की गई LOC की पूरी जानकारी।

• विभागीय रजिस्टर की प्रतियां: विभागीय कार्यालय में लगे सभी रजिस्टरों की फोटो प्रतियां।

• लैब टेस्ट और कर्मचारी: 1 जनवरी 2023 से 1 जनवरी 2025 तक विभाग की लैब में टेस्ट किए गए पानी के सैंपल की संख्या और लैब कर्मचारियों की जानकारी।

• लंबित केस और खर्च: विभाग से जुड़े कोर्ट में लंबित केसों की संख्या और उन पर हुए खर्च की पूरी जानकारी।

विभाग बोला- जानकारी नियमों के तहत भेजी

पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट के एक्सईएन सुमित गर्ग ने इस मामले पर अपनी सफाई दी। उन्होंने कहा कि RTI के तहत मांगी गई जानकारी नियमों के अनुसार दे दी गई है। उन्होंने बताया कि RTI के नियम के तहत प्रति पेज 2 रुपये का चार्ज लिया जाता है। जब उनसे पूछा गया कि जानकारी डिजिटल रूप से क्यों नहीं भेजी गई, तो उन्होंने कहा कि जानकारी डिजिटल नहीं मांगी गई थी। उन्होंने यह भी बताया कि भेजी गई जानकारी आवेदक के दिए गए पते पर भेज दी गई है।

WhatsApp Button व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp Logo

Tags

Next Story