MLA से हाथापाई केस: कांग्रेस विधायक अशोक अरोड़ा से झड़प मामले में EO समेत 6 को नोटिस जारी

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कुरुक्षेत्र में कांग्रेस विधायक अशोक अरोड़ा व भाजपा पार्षद प्रतिनिधि आपस में झगड़ते हुए। फाइल फोटो
हरियाणा के कुरुक्षेत्र में कांग्रेस विधायक अशोक अरोड़ा से हाथापाई मामले में अब विधानसभा कमेटी की जांच भी तेज हो गई है। कमेटी ने EO समेत 6 को नोटिस जारी कर तलब किया है।

MLA से हाथापाई केस : हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले की थानेसर नगर परिषद की हाउस मीटिंग के दौरान कांग्रेस विधायक अशोक अरोड़ा और भाजपा पार्षद प्रतिनिधि नरेंद्र शर्मा के बीच हुई तीखी झड़प और हाथापाई का मामला गरमाने लगा है। अब इस केस में हरियाणा विधानसभा की विशेषाधिकार समिति (Privilege Committee) ने संज्ञान लिया है। समिति ने नगर परिषद थानेसर के कार्यकारी अधिकारी (EO) राजेश कुमार सहित छह अधिकारियों और व्यक्तियों को नोटिस जारी कर इस माह पेश होने को कहा है।

अशोक अरोड़ा रख चुके हैं अपना पक्ष

यह नोटिस समिति की हाल ही में हुई पहली बैठक के बाद जारी किए गए हैं। कमेटी अध्यक्ष एवं विधायक मूलचंद शर्मा ने बताया कि बैठक में अशोक अरोड़ा से इस पूरे घटनाक्रम की विस्तृत जानकारी ली गई। उन्होंने कहा कि समिति मामले की गंभीरता को समझते हुए सभी पक्षों की बात सुनेगी और तथ्यों के आधार पर निष्पक्ष फैसला लिया जाएगा। बैठक में यह भी स्पष्ट हुआ कि समिति के समक्ष फिलहाल ऐसे चार मामले लंबित हैं, जिन पर जल्द सुनवाई की जाएगी।

महिला पार्षद के प्रतिनिधि की एंट्री पर था विवाद

यह विवाद 23 मई 2025 को तब सामने आया जब थानेसर नगर परिषद की हाउस मीटिंग में कांग्रेस विधायक अशोक अरोड़ा और भाजपा पार्षद प्रतिनिधि नरेंद्र शर्मा उर्फ निंदी के बीच तीखी बहस और हाथापाई हो गई थी। बैठक में बाहरी व्यक्तियों की एंट्री प्रतिबंधित थी, लेकिन पार्षद प्रतिनिधि नरेंद्र शर्मा के मौजूद होने पर विधायक ने आपत्ति जताई। बहस के दौरान दोनों पक्षों में कुर्सी छोड़कर आमने-सामने आने की नौबत आ गई और कथित रूप से धक्का-मुक्की तक हो गई। शोर सुनकर विधायक के गनमैन (PSO) ने भीतर आकर हालात को संभाला। इस झगड़े का वीडियो भी सामने आया, जिसके बाद मामला राजनीतिक गर्माहट में बदल गया।

विधायक अशोक अरोड़ा के पूर्व मंत्री पर आरोप

घटना के बाद अशोक अरोड़ा ने यह आरोप लगाया था कि यह हमला पूर्व मंत्री सुभाष सुधा के इशारे पर योजनाबद्ध तरीके से किया गया। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने नगर परिषद में हुए कथित घोटालों को लेकर पूर्व मंत्री की भूमिका पर सवाल उठाए थे और इसी के चलते यह हमला करवाया गया। उन्होंने यह भी कहा कि अगर उनके PSO ने वक्त रहते दखल न दिया होता तो स्थिति गंभीर हो सकती थी। विधायक ने डीसी और एसपी से मिलकर सुरक्षा की मांग की और यह मांग भी रखी कि नगर परिषद में हुई कथित अनियमितताओं की जांच रिटायर्ड जज से करवाई जाए।

भाजपा पार्षद प्रतिनिधि का पलटवार

दूसरी ओर पार्षद प्रतिनिधि नरेंद्र शर्मा ने भी विधायक अरोड़ा पर राजनीतिक द्वेष और निजी हमलों का आरोप लगाया था। उन्होंने दावा किया था कि अरोड़ा ने जानबूझकर उनके खिलाफ चुनाव में तीन उम्मीदवार खड़े करवाए, जिनकी जमानत जब्त हो गई, जिससे अरोड़ा की राजनीतिक साख को धक्का लगा। नरेंद्र शर्मा ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस विधायक ने उन्हें बीजेपी में जाने से रोकने के लिए बार-बार पैसे देने के प्रस्ताव दिए, जिनकी रकम 20 से 25 लाख रुपये तक बताई गई। उन्होंने कहा कि अगर मुझे बिकना होता तो एमसी बनने के वक्त बिक चुका होता। मैंने अरोड़ा जैसे लोगों के लिए बहुत लड़ाइयां लड़ीं, लेकिन अब महसूस हुआ कि वो लायक नहीं हैं।

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