Plane Crashes: हरियाणा के आसमां में जब भिड़े 2 प्लेन, पायलट की अंग्रेजी ने मरवा दिए सैकड़ों, पढ़ें दुखभरी कहानी

Two planes collided in the skies of Charkhi Dadri, 1996
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चरखी दादरी के आसमान में दो विमान की टक्कर, 1996

Charkhi Dadri Mid-Air Collision Plane Crash: 12 नवंबर 1996 की भयावह शाम का मंजर सभी भारतीयों के दिलों में बुरे सपने की तरह बसा हुआ है। उस दिन हरियाणा के चरखी दादरी के आसमान में भीषण विमान हादसा हुआ था, जिसमें 349 लोगों की मौत हो गई थी।

Charkhi Dadri Plane Collision: गुजरात के अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट के गुरुवार (12 जून) को दुर्घटनाग्रस्त होने से 250 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। इस हादसे के बाद से इतिहास की पुरानी भयावह विमान दुर्घटनाओं की चर्चा हो रही है। साल 1996 में हरियाणा के चरखी दादरी में एक भयावह विमान हादसा हुआ था, जिसने पूरे देश को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया था। 12 नवंबर, 1996 की शाम हरियाणा के चरखी दादरी के आसमान में दो विमान आपस में टकरा गए, जिससे दोनों आसमान में ही जलकर राख हो गए थे।

इनमें एक सउदीया फ्लाइट 763 और कजाकिस्तान एयरलाइंस की फ्लाइट 1907 थी। इस भीषण हादसे में 349 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी। यह भारत के इतिहास का सबसे बड़ा विमान हादसा था। इस हादसे की जांच के लिए जस्टिस रमेशचंद्र लोहाटी आयोग का गठन किया गया था, आयोग की जांच रिपोर्ट में कई अहम खुलासे हुए थे। पढ़ें इस घटना और जांच रिपोर्ट की फाइंडिंग की हर डिटेल...

हादसे की पूरी कहानी-कब और कैसे हुआ?
12 नवंबर 1996 की शाम को सऊदी अरब एयरलाइंस की फ्लाइट 763 (बोइंग 747) ने शाम 6.32 पर दिल्ली से धहरान के लिए उड़ान भरी थी। इस फ्लाइट में कुल 312 लोग सवार थे, जिसमें 23 क्रू मेंबर भी शामिल थे। यह विमान कैप्टन खालिद अल-शुबैली की कमान में था। इसके अलावा फर्स्ट ऑफिस नजीर खान और फ्लाइट इंजीनियर विमान में सवार थे। वहीं, कजाकिस्तान 1907 (IL-76) एक चार्टर्ड फ्लाइट थी, जो चिमकेंट (कजाकिस्तान) से दिल्ली की ओर आ रही थी। इसका शेड्यूल पहले से तय नहीं था। इस विमान में कुल 37 लोग सवार थे, जिनमें 5 कॉकपिट क्रू और 5 केबिन क्रू मेंबर शामिल थे।

सऊदी बोइंग 747 के दिल्ली से उड़ान भरने के बाद एप्रोच ने विमान को FL-140 यानी 14,000 फीट पर उड़ान भरने के लिए कहा था। वहीं, कजाकिस्तान के विमान को दिल्ली एप्रोच ने FL-150 यानी 15,000 फीट पर उतरने और उसी ऊंचाई पर प्लेन को बनाए रखने का निर्देश दिया था। उस समय विमान दिल्ली एयरपोर्ट से 137 किमी दूर था। दिल्ली एयरपोर्ट पर उन दिनों कमर्शियल जेट के लिए एक ही कॉरिडोर था, जिसकी वजह से दोनों विमान एक ही कॉरिडोर में उड़ रहे थे, इसी वजह से एयर ट्रैफिक कंट्रोलर एच.एस दत्ता ने एक विमान को 14 हजार फीट और दूसरे को 15 हजार फीट पर उड़ने के लिए कहा था, जिससे दोनों के बीच 1 हजार फीट की दूरी बनी रहे। लेकिन कजाकिस्तान का विमान अचानक 15,000 फीट से 14,500 और फिर 14000 फीट की ऊंचाई पर आ गया, जिसकी वजह से 6:40 बजे दोनो विमान चरखी दादरी के आसमान में आपस में टकरा गए। इस हादसे में दोनों विमानों में सवार सभी यात्रियों और क्रू मेंबर की मौत हो गई।

जांच रिपोर्ट में खुलासा: कजाक पायलट की अंग्रेजी बनी वजह
इस हादसे की जांच के लिए न्यायिक आयोग बनाया गया, जिसकी अध्यक्षता दिल्ली हाईकोर्ट के तत्कालीन जस्टिस रमेश चंद्र लोहाटी ने की थी। जांच रिपोर्ट में इस घटना की जो मुख्य वजह सामने आई, वह थी कजाकिस्तान के पायलट की कमजोर अंग्रेजी। जिसकी वजह से वह एयर ट्रैफिक कंट्रोलर के निर्देशों को समझ नहीं पाया। उसे कहा गया था कि वह लगातार 15,000 फीट की ऊंचाई पर विमान को रखे, लेकिन वह अचानक से14,000 फीट की ऊंचाई पर आ गया। इसके चलते हादसा हो गया। इस जांच में कजाकिस्तान विमान के पायलट की लापरवाही सामने आई थी। इसके साथ ही पायलट में पायलट-इन-कमांड के लिए निर्धारित एयरमैनशिप और क्रू रिसोर्स मैनेजमेंट की स्किल भी ठीक नहीं पाई गई।

जस्टिस लोहाटी की रिपोर्ट में पता चला कि हवा में टक्कर (प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से) का कारण तोड़फोड़, आंतरिक विस्फोट या चालक दल या विमान से बाहर किसी वस्तु से टकराना नहीं था। इसके अलावा दोनों विमानों में से किसी में तकनीकी समस्या भी नहीं थी।


चरखी-दादरी मेंं दो प्लेन के टकराने की दुर्घटना पर जस्टिस लाहोटी न्यायिक आयोग की रिपोर्ट का एक हिस्सा, जिसमें मुख्य कारण का जिक्र है.

हादसे से मिला बड़ा सबक

इस हादसे की वजह से भारत समेत पूरी दुनिया को बड़ा सबक मिला। जस्टिस लोहाटी आयोग ने विमानन क्षेत्र में सुधार के लिए कुछ अहम अनुशंशाएं भी की थीं।

  1. इंटरनेशनल फ्लाइट पर रेडियो कम्यूनिकेशन के लिए अंग्रेजी भाषा कुशलता सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
  2. क्रू रिसोर्स मैनेजमेंट को क्रू ट्रेनिंग कोर्स का हिस्सा बनाया जाना चाहिए, जिसमें स्टैंडर्ड कॉल-आउट के महत्व पर ज्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए।
  3. पायलट को 'पायलट-इन-कमांड' के रूप में नियुक्त करने से पहले यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि उसने बेहतर CRM स्किल और लीडरशिप के गुणों को हासिल कर लिया है।

जस्टिस लोहाटी की रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि सार्वजनिक परिवहन विमान में निम्नलिखित चीजें जरूर होनी चाहिए-

  1. हवाई टक्कर रोधी प्रणाली (Air Collision Avoidance System)
  2. ऊंचाई चेतावनी प्रणाली (Altitude Warning System)
  3. ऊंचाई अधिग्रहण प्रणाली (Altitude Acquisition System)

करीब 29 साल पहले हरियाणा के चरखी दादरी में हुआ यह विमान हादसा दुनिया के सबसे बड़े हादसों में से एक है। इसमें कुल 349 लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी। इसके बाद से विमान उड़ानों की सुरक्षा और भी ज्यादा बढ़ाई गई।

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