कैप्टन अभिमन्यु की माता को दी श्रद्धांजलि: बाबा रामदेव बोले- माता परमेश्वरी देवी ने दिखाई शिक्षा की राह, उनके सहयोग से 30 गुरुकुलों में पढ़े हजारों ब्रह्मचारी
रोहतक में एमडीयू में माता परमेश्वरी देवी को श्रद्धांजलि देने पहुंचे बाबा रामदेव व संत समाज।
- रोहतक की एमडीयू में माता परमेश्वरी देवी की श्रद्धांजलि सभा में मौजूद सिन्धु परिवार व अन्य गणमान्य नागरिक।
- रोहतक के सेक्टर 14 में माता परमेश्वरी देवी की आत्मिक शांति के लिए हवन यज्ञ करता सिन्धु परिवार।
- एमडीयू रोहतक में माता परमेश्वरी देवी को पुष्पांजलि अर्पित करते सांसद नवीन जिंदल।
कैप्टन अभिमन्यु की माता को दी श्रद्धांजलि : हरियाणा के रोहतक में पूर्व वित्तमंत्री कैप्टन अभिमन्यु की माता परमेश्वरी देवी जी को श्रद्धांजलि देने के लिए रविवार को एमडीयू के टैगोर सभागार में हजारों की संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। योग गुरु बाबा रामदेव समेत कई साधु-संतों, मंत्रियों व भाजपा नेताओं ने रस्म क्रिया में पुष्प अर्पित किए। बाबा रामदेव ने कहा कि माता परमेश्वरी देवी जी उन्हें पुत्र की तरह स्नेह करती थीं और हमेशा आगे बढ़ने का आशीर्वाद देती थीं। उनके विचार, प्रेरणा, सीख व संस्कार आने वाली पीढ़ियों के जरिये सदैव जिंदा रहेंगे। यह माता परमेश्वरी देवी के तप, संघर्ष, शिक्षा और परवरिश का फल है जो पूरे विश्व में सिन्धु परिवार का नाम बुलंदियों पर चमक रहा है। उन्होंने न केवल अपने परिवार को शिक्षा की राह दिखाई बल्कि समाज के वंचित तबके के हजारों बच्चों को भी पढ़ने के लिए संसाधन मुहैया करवाए। ओडिशा के आदिवासी तबके के बच्चों की भलाई के लिए अनेक काम किए। रस्म क्रिया से पहले सेक्टर 14 स्थित सिन्धु भवन में हवन यज्ञ भी किया गया।
30 से ज्यादा गुरुकुलों व संस्थाओं को आगे बढ़ाया
स्वामी रामदेव ने भावुक होते हुए कहा कि स्व. चौधरी मित्रसेन आर्य और माता परमेश्वरी देवी जी सदैव उन्हें अपना सातवां पुत्र मानते थे। मैं करोड़ों लोगों को आशीर्वाद देता हूं, लेकिन मैं सदैव आशीर्वाद लेने के लिए माता परमेश्वरी देवी के चरणों में अपना शीश झुकाता था। वे भी हमेशा मुझे पुत्र की तरह की लाड़ करती थीं। जरूरत होने पर डांटती भी थी और प्रेरित भी करती थीं। इन दोनों दिव्य आत्माओं ने आर्य समाज व सनातन परंपरा को जीवित रखने के लिए ताउम्र प्रयास व सहयोग किया। करीब 30 गुरुकुलों में उनके सहयोग से हजारों ब्रह्मचारियों ने वैदिक संस्कृति का ज्ञान अर्जित किया। सैकड़ों संस्थाओं में सहयोग करके उन्होंने समाज को नई राह दिखाने का काम किया। 89 वर्ष की उम्र में भी वे सदैव सक्रिय रहीं और वृद्धावस्था के बावजूद खेतीबाड़ी व पशुओं का ध्यान रखा। हमें उनके जीवन से सीख मिलती है कि किस तरह गांव से निकलकर एक साधारण महिला ने अपने अनुशासित जीवन से परिवार को ऊंचाइयों तक ले जाने का काम किया व राष्ट्र और समाजहित में खुद को समर्पित किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शोक संदेश पढ़कर सुनाया
इस दौरान मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आया लिखित शोक संदेश भी पढ़कर सुनाया गया। इसके अलावा कई गुरुकुलों, शिक्षण संस्थानों, समाजसेवी संगठनों व अन्य सामाजिक हस्तियों की ओर से भी शोक संदेश आए। इनके अलावा रस्म क्रिया में सांसद कुमारी सैलजा, नवीन जिंदल, चौ. धर्मबीर सिंह, दिल्ली सरकार में मंत्री परवेश साहिब सिंह, विधायक सावित्री जिंदल, पूर्व मंत्री रामबिलास शर्मा, पूर्व सांसद संजय भाटिया, पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर, पंजाब भाजपा अध्यक्ष सुनील जाखड़, यूपी भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुभाष मेहरिया, पूर्व मंत्री बिजेंद्र कादयान, पूर्व सांसद अशोक तंवर, यूपी से पूर्व विधायक सहेंद्र सिंह, पूर्व संगठन मंत्री सुरेश भट्ट, पूर्व मंत्री सुभाष बतरा, सतीश बंधु समेत सैकड़ों नेताओं ने श्रद्धासुमन अर्पित किए।
माता जी की समाजसेवा को भुलाया नहीं जा सकता
Live श्रद्धांजलि सभा पूज्या माता स्वर्गीया श्रीमती परमेश्वरी देवी जी। टैगोर ऑडिटोरियम, रोहतक https://t.co/xvirolTlvw
— Captain Abhimanyu (@CaptAbhimanyu) June 29, 2025
ओडिशा से आए स्वामी वृत्तानंद महाराज ने कहा कि माता के जाने का दुख तो है, लेकिन उनके द्वारा किए गए सामाजिक कार्यों को नहीं भुलाया जा सकता। वह उन्हीं कार्यों के साथ हम सभी के बीच जीवित हैं। उन्होंने जनकल्याण के लिए जो कार्य किए, हमें पूरी उम्मीद है कि परिवार भी उन्हीं पदचिह्नों पर चलकर जनकल्याण के लिए अनेकों कार्य करेगा। उन्होंने परिवार को एक सूत्र में पिरोकर रखा, कभी किसी को अलग नहीं होने दिया। रूड़की कन्या गुरुकुल, रोहतक से पदमश्री आचार्य सुकामा ने कहा कि माता परमेश्वरी देवी का जीवन वैदिक आदर्शों पर आधारित था। उन्होंने परिवार को जिस अनुशासन और एकता से पाला, वह आधुनिक समाज के लिए प्रेरणास्त्रोत है। ऐसे व्यक्तित्व कभी समाप्त नहीं होते, वे युगों तक प्रेरणा देते रहते हैं। आज उनके सभी बेटे माता जी के कारण ही प्रतिष्ठित पदों पर विराजमान हैं। संगतिकरण यज्ञ के माध्यम से ही यह सब चीजें जीवित हैं। इसको संजोकर रखना अपने आप में बहुत बड़ी बात है। माता जी हम सभी के लिए प्रेरणा है, हमें बहुत कुछ उनसे सीखना होगा। स्वामी आर्यवेश ने कहा कि श्रद्धा, समर्पण और वैदिक संस्कृति की जीवंत मूर्ति थीं माता परमेश्वरी देवी। उन्होंने अपने आचरण से यह सिद्ध किया कि सच्चा धर्म परिवार और समाज को जोड़ने में है।
चार पीढ़ियों को संवारा, संस्कारों से सिंचा
माता परमेश्वरी देवी अपने पीछे एक भरा-पूरा परिवार छोड़ गई हैं। जिसमें उनके 6 बेटे और 3 बेटियां शामिल हैं। उनके बेटों में रुद्रसेन, वीरसेन, व्रतपाल, कैप्टन अभिमन्यु, मेजर सतपाल और देव सुमन हैं, जबकि बेटियों में दया, बिमला और मधु हैं। उनके पति स्व. चौधरी मित्रसेन आर्य का निधन 2011 में हो गया था। इसके बाद भी उन्होंने अपने संस्कारों से पूरे परिवार को न केवल एकजुट रखा बल्कि बुलंदियों पर पहुंचाया। उन्हों चौधरी साहब के समाजसेवा के रथ को भी नहीं रुकने दिया। माता परमेश्वरी देवी की चौथी पीढ़ी में भी 25 पड़पौत्र व दोहते-दोहतियां हैं।
सीएम नायब सिंह सैनी ने सिन्धु निवास पहुंचकर शोक प्रकट किया
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने रविवार को सिन्धु निवास पहुंचकर परिवार के प्रति शोक संवेदना व्यक्त की। उन्होंने इस अवसर पर पूर्व मंत्री कैप्टन अभिमन्यु व परिवार के सदस्यों से मुलाकात की। जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री रणबीर गंगवा ने भी माता परमेश्वरी देवी के निधन पर शोक व्यक्त किया। इस अवसर पर पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर, भाजपा के जिलाध्यक्ष रणबीर ढाका, भाजपा के प्रदेश सचिव अजय बंसल, पूर्व मीडिया कॉर्डिनेटर राजकुमार कपूर, पूर्व सीनियर डिप्टी मेयर राजकमल सहगल आदि उपस्थित रहे। हिसार से पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह ने भी घर पहुंचकर शोक प्रकट किया।