भाषा विवाद: अनिल विज का तीखा बयान, बोले- क्या महाराष्ट्र में अब गीता और कुरान भी नहीं पढ़ाई जाएंगी?

अंबाला में मीडिया से बातचीत करते अनिल विज।
हरियाणा के ऊर्जा परिवहन और श्रम मंत्री अनिल विज ने महाराष्ट्र में चल रहे भाषा विवाद को लेकर ठाकरे बंधुओं, खासकर राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे पर सीधा निशाना साधा है। विज ने तीखे शब्दों में कहा कि अगर भाषा के नाम पर इतना विरोध होगा, तो क्या ठाकरे बंधु अब मंदिरों और मस्जिदों को भी बंद करवाएंगे। उनके इस बयान ने नई बहस छेड़ दी है।
मराठी भाषा को लेकर चल रहे विवाद पर सवाल उठाए
मीडिया से बातचीत के दौरान अनिल विज ने महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर चल रहे विवाद पर सवाल उठाए। उन्होंने पूछा हमारी गीता संस्कृत में लिखी है। कुरान अरबी में, तो क्या अब महाराष्ट्र में कोई गीता व कुरान नहीं पढ़ सकता? विज ने ठाकरे बंधुओं की राजनीति पर तंज कसकर कहा कि जिस तरह की गुंडागर्दी व लोगों से मारपीट की जा रही है, उससे साफ है कि ये लोग अब मंदिरों व मस्जिदों में भी जाकर गुंडागर्दी करेंगे। विज ने जोर देकर कहा कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है और यह पूरे देश के प्रांतों को जोड़ने का एक महत्वपूर्ण सूत्र है। हिंदी हमारे संघीय ढांचे को मजबूत रखने का भी काम करती है। उनका इशारा महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) द्वारा गैर-मराठी भाषियों पर किए जा रहे हमलों की ओर था।
प्रधानमंत्री के विदेश दौरों पर खड़गे को विज का पलटवार
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेशी दौरों पर सवाल उठाने और मणिपुर न जाने पर निशाना साधने को लेकर अनिल विज ने पलटवार किया। विज ने कहा कि हमारे देश के विदेशों से अच्छे संबंध होना बहुत ज़रूरी है। उन्होंने तर्क दिया कि जब देश के विदेशों से संबंध अच्छे होते हैं, तो उतना ही व्यापार बढ़ता है, द्विपक्षीय संबंध मजबूत होते हैं, और अंततः देश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होती है।
मणिपुर पर अमित शाह ने संभाली स्थिति
मणिपुर की स्थिति पर उन्होंने कहा कि जहां तक मणिपुर की बात है, वहां गृहमंत्री अमित शाह खुद गए थे। उन्होंने वहां मीटिंगें लीं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशानुसार सभी गतिविधियां कीं और स्थितियों को संभाला। विज ने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार मणिपुर की स्थिति को लेकर गंभीर है और आवश्यक कदम उठा रही है। अनिल विज के इन बंयानों से महाराष्ट्र के भाषा विवाद और कांग्रेस के विपक्षी सवालों पर भाजपा का कड़ा रुख सामने आया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि ठाकरे बंधु और कांग्रेस इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं।