Indo Pak Tussle: S-400 से रोके हमले, इजरायली हार्पी से किया अटैक, पाक का चीनी माल HQ-9 फेल; जानें इनके बारे में

India Pakistan Defence Systems: भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध की स्थिति में इजरायल और चीन के बीच भी अप्रत्यक्ष जंग देखी जा रही है। ऑपरेशन सिंदूर के दूसरे दिन पाकिस्तान ने भारत के 15 ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइल दागे, लेकिन भारत ने रूस के S-400 का इस्तेमाल कर इस हमले को नाकाम कर दिया। इसके बाद भारतीय सेना ने इजरायली हार्पी/हैरोप ड्रोन का इस्तेमाल कर पाकिस्तान के तीन बड़े शहर लाहौर, कराची और रावलपिंडी में HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम ध्वस्त कर दिया। HQ-9 डिफेंस सिस्टम चीन की ओर से पाक को उपलब्ध कराया गया था।
हार्पी ड्रोन की खासियत
- इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज ने हार्पी ड्रोन बनाया था। सबसे पहले इसका परीक्षण 1989 में किया गया था।
- यह डिफेंस सिस्टम को नष्ट कर सकता है। ऑटोनॉमस और मैनुअल, दोनों मोड पर काम कर सकता है।
- हार्पी ड्रोन को अगर टारगेट न मिले तो वह खुद को नष्ट कर लेता है, इसलिए उसे सुसाइड ड्रोन भी कहा जाता है।
- यह रेडियो सिग्नल का पता लगाकर लक्ष्य साधता है। इसके लिए ऑपरेटर की जरूरत नहीं होती है।
- भारत ने 2000 के दशक की शुरुआत में हार्पी ड्रोन के साथ इसका एडवांस वर्जन हैरोप भी खरीदा है।
- यह मिसाइल और ड्रोन का कॉम्बिनेशन है, जिससे बचना किसी देश के लिए आसान नहीं है।
- हार्पी ड्रोन की लंबाई 2.1 मीटर होती है, जो कि 6 घंटे की उड़ान कर सकता है।
- हार्पी ड्रोन की रेंज 500 से 1000 किलोमीटर है।
रूसी S-400 की खूबियां
- यह दुश्मन देश की मिसाइल, ड्रोन, रॉकेट आदि को हवा में ही नष्ट करने की क्षमता रखता है।
- इसे 2021 में भारतीय सेना में शामिल किया गया था।
- S-400 को रूस के एलमाज सेंट्रल डिजाइन ब्यूरो ने बनाया है।
- यह दुनिया का सबसे आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम में से एक है।
- इसे रोड के जरिये आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है।
- इसमें ऐरो रडार सिस्टम लगा है, जो 600 किमी की दूरी से एक साथ कई टारगेट का पता कर सकता है।
- इसे रेडी करने में 5 से 10 मिनट का ही समय लगता है।
- यह सिस्टम एक टारगेट के लिए दो मिसाइल एक साथ लॉन्च कर सकता है।
- S-400 की रेंज 400 किलोमीटर है। 30 किमी की ऊंचाई पर भी टारगेट को तबाह कर सकता है।
S-400 के आगे कहां ठहरता है HQ-9
रूस के S-400 की मदद से भारत ने आज गुरुवार को पाकिस्तानी मिसाइलों और ड्रोन की धज्जियां उड़ा दीं, वहीं चीन का बना HQ-9 भारत की ओर से भेजे गए इजरायली हार्पी ड्रोन का सामना नहीं कर पाया। जब हम इन दोनों डिफेंस सिस्टम की तुलना करें तो S-400 के सामने HQ-9 को लेकर चीन के दावे कमजोर नजर आते हैं।
- S-400 महज 5 से 10 मिनट में ऑपरेशन के लिए रेडी हो जाता है, वहीं HQ-9 AD को तैयार होने में 35 मिनट तक का समय लग जाता है।
- S-400 का रडार स्टील्थ विमानों को ट्रैक कर लेता है, जबकि HQ-9 इसे ट्रैक करने में कमजोर है।
- S-400 पाक के आधुनिकतम लड़ाकू विमानों जैसे F-16 और बाबर क्रूज मिसाइलों को नष्ट कर सकता है। HQ-9 ऐसा कर पाने में कई बार विफल हो जाता है जैसा कि भारतीय सेना के आज अटैक में देखा भी गया।
- इसकी अधिकतम रेंज 125 किलोमीटर प्रति घंटा है, जो कि S-400 की तुलना में कुछ भी नहीं है।
- HQ-9 में मिसाइल, फायरिंग रडार और सर्च रडार लगा है। इसकी अधिकतम स्पीड 5180 किमी प्रति घंटा है।
- इसका रडार सिस्टम 360 डिग्री स्कैन करके 65 डिग्री ऊंचाई तक के टारगेट का पता लगा सकता है।
- वहीं इसकी कीमत 400 से 800 करोड़ बताई जाती है।