Delhi cyber crime: ठगों ने रिटायर्ड सर्जन को बनाया शिकार, ठगे 2.2 करोड़ रुपये , पुलिस ने किया पर्दाफाश

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प्रतीकात्मक तस्वीर।
Delhi cyber crime: दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने साइबर ठगों का खुलासा किया है। आरोपियों ने रिटायर्ड सर्जन से 2.2 करोड़ रुपये ठगे। इस मामले में पुलिस ने अमित शर्मा और हरि स्वर्गीयरी को गिरफ्तार किया है।

Delhi Cyber Crime: दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने डिजिटल अरेस्ट स्कैम का खुलासा किया है। इस मामले में पुलिस ने अमित शर्मा (42) और हरि स्वर्गीयरी (27) को गिरफ्तार किया है। दोनों आरोपियों पर एक रिटायर्ड सर्जन से करोड़ों की ठगी का आरोप है। पुलिस ने इस मामले का खुलासा करते हुए बताया कि आरोपी ट्राई के नाम पर पुलिस अफसर बनकर लोगों को डराते थे।

इनके पास से पुलिस ने 2.2 करोड़ रुपये के साथ 3 मोबाइल फोन, सिम कार्ड और डिजिटल दस्तावेज बरामद किए हैं। आईएफएसओ ने जांच कर यह दावा किया है कि आरोपी ठगी से कमाए हुए पैसों को विदेश भेजने का काम करते थे। इसके लिए उन्होंने फर्जी बैंक अकाउंट बना रखा था। इन आरोपियों के साथ इनसे जुड़े अन्य साथियों की भी पहचान कर ली गई है।

आईएफएसओ डीसीपी डॉ. हेमंत तिवारी के मुताबिक, 15 मार्च को एक 92 वर्षीय रिटायर्ड सर्जन ने शिकायत दर्ज कराई थी। पीड़ित का कहना है कि उन्हें 12 मार्च 2025 को अलग-अलग नंबरों से कॉल आई थी। कॉल करने वालों ने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) और महाराष्ट्र पुलिस के तौर पर खुद को पेश किया। उन्होंने पीड़ित को धमकी भी दी और कहा कि उसके खिलाफ कई एफआईआर दर्ज की गई हैं।

आरोपियों ने पीड़ित सर्जन को फटकार लगाई और गिरफ्तारी की धमकी भी दी। धमकी देने के बाद वीडियो कॉल के जरिए आरोपी ने डिजिटल अरेस्ट किया। उन्हें अदालत के जाली आदेश दिखाए, साथ ही एक ऐसी प्रक्रिया में हिस्सा लेने के लिए मजबूर किया, जिसे आरोपियों ने वर्चुअल पेशी कहा था। इसमें फेक लीगल नोटिस, मनी लॉन्ड्रिंग जैसी घटनाओं के लिंक दिखाकर डराया और मजबूर किया गया।

गाजियाबाद में छापेमारी के दौरान पुलिस ने अमित शर्मा उर्फ राहुल नाम के आरोपी को गिरफ्तार किया। राहुल से पूछताछ के बाद मामले की आगे जांच की गई। इसमें एक और आरोपी (अकाउंट हैंडलर) हरि स्वर्गियरी को असम से गिरफ्तार किया गया।

पुलिस की सख्ती से पूछताछ के बाद आरोपियों ने खुलासा किया कि वह सिंडिकेट पुलिस, सीबीआई, कस्टम और अन्य सरकारी एजेंसियों के अधिकारियों के रूप में खुद को पेश करते थे और पीड़ितों को कॉल करके उन्हें एफआईआर के नाम से डराते थे। शुरुआत में पीड़ितों को गिरफ्तारी और भारी जुर्माने की धमकी देते थे।

पीड़ित को डराने-धमकाने के बाद सहानुभूति भरे लहजे में बात करते थे, जिससे पीड़ित उन्हें अपना शुभचिंतक समझने लगे। साथ ही मामले को रफा-दफा कराने में मदद का हवाला देकर पीड़ितों की बातों को रिकार्ड कर लेते थे। पीड़ित की पर्सनल डिटेल को लीक करने की धमकी देकर सारी रकम ट्रांसफर करा लेते थे।

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