Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट में रेहड़ी-पटरी वालों की जीत, नगर निगम ने दिया आदेश

Delhi High Court Decision on Street Vendor
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दिल्ली हाईकोर्ट का रेहड़ी पटरी वालों के पक्ष में फैसला।

Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने रेहड़ी-पटरी वालों और फेरीवालों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए MCD को आदेश दिया है कि इन लोगों को दुकानें लगाने के लिए सही जगह मुहैया कराई जाए।

Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने रेहड़ी-पटरी और फेरीवालों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए नगर निगम को आदेश दिया है। कोर्ट ने नगर निगम को आदेश दिया है कि रेहड़ी-पटरी और फेरीवालों को हटाने की जगह उन्हें विस्थापित करने की योजना बनाने का आदेश दिया है।

हाईकोर्ट की तरफ से कहा गया कि गरीब लोगों के लिए रेहड़ी-पटरी और फेरीवाले काफी महत्व रखते हैं। जो लोग आर्थिक रूप से कमजोर हैं, वे बड़ी-बड़ी दुकानों और मॉल आदि से सामान खरीदने की हैसियत नहीं रखते।

दुकान लगाने की जगह दे नगर निगम

बता दें कि तीन फेरीवालों द्वारा उनकी फेरियों को हटाए जाने पर रोक लगाने वाली याचिका पर जस्टिस प्रतिभा एम सिंह और रजनीश कुमार गुप्ता की बेंच सुनवाई कर रही थी। इस दौरान याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाया गया और MCD यानी दिल्ली नगर निगम को आदेश दिया गया कि इन तीनों रेहड़ी-पटरी वालों को न उजाड़ा जाए। इसकी बजाय दूसरी जगह पर दुकान लगाने की जगह उपलब्ध कराई जाएगी।

गरीबों के लिए वरदान हैं रेहड़ी-पटरी

सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि दिल्ली जैसे महंगे शहर में हर व्यक्ति बड़ी दुकानों और मॉल से सामान नहं खरीद सकता। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के लिए रेहड़ी-पटरी वाले वरदान की तरह हैं। वे इन छोटी दुकानों पर मोलभाव कर सामान खरीदते हैं। मात्र दिल्ली की 50 फीसदी आबादी ही मॉल या दुकानों से सामान खरीदती है। बाकी के लोग रेहड़ी पटरी, फेरीवालों और छोटी दुकानों से सामान खरीदते हैं। ऐसे में दिल्ली नगर निगम को इन रेहड़ी पटरी वालों को हटाने की जगह उचित नीति बनाकर छोटे दुकानदारों को जगह दिलाएं।

नगर निगम को 10 जुलाई तक का मिला समय

कोर्ट में सुनवाई के दौरान नगर निगम के वकील ने कहा कि दिल्ली नगर निगम को कुछ समय दिया जाए, ताकि वो याचिकाकर्ताओं को स्थानांतरित वेंडिंग साइट दे सकें। वकील ने कहा कि माता सुंदरी रोड पर रेहड़ी-पटरी लगाने वालों के खिलाफ वहां के निवासियों ने आपत्ति जताई थी। इसके कारण स्थानांतरण के लिए नई जगह की पहचान की जा रही है। इस पर कोर्ट ने कहा कि पहले ही इन याचिकाकर्ताओं के हक में निर्णय आने में काफी देर हो चुकी है। हम निगम को 10 जुलाई तक का समय देते हैं। 10 जुलाई तक हर हालत में याचिकाकर्ताओं को दुकान लगाने के लिए जगह सौंप दें।

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