Delhi Artificial Rain: जुलाई में नहीं अब इस दिन कराई जाएगी कृत्रिम बारिश, टाइम-लोकेशन तय, जानिए पूरी डिटेल

दिल्ली में अगस्त के अंत में कराई जाएगी कृत्रिम बारिश।
Delhi Artificial Rain Update: राजधानी दिल्ली में कृत्रिम बारिश (Artificial Rain) को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है। दिल्ली सरकार ने अभी के लिए कृत्रिम बारिश के ट्रायल की तारीख को टाल दिया है। अब दिल्ली में अगस्त के अंत तक कृत्रिम बारिश कराई जाएगी। इसको लेकर मंत्री मनजिंदर सिरसा ने सोमवार को जानकारी दी। उन्होंने बताया कि दिल्ली सरकार ने क्लाउड सीडिंग (कृत्रिम बारिश) के ट्रायल के लिए डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) से अंतिम मंजूरी भी हासिल कर ली है।
मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मंत्री सिरसा ने कहा कि क्लाउड सीडिंग के प्रोजेक्ट के लिए नई तारीख 30 अगस्त से 10 सितंबर के बीच तय की गई है। बता दें कि इससे पहले बताया जा रहा था कि 4-11 जुलाई के बीच कृत्रिम बारिश कराई जा सकती है।
इस वजह से टाला गया प्रोजेक्ट
दिल्ली में कृत्रिम बारिश का प्रोजेक्ट IIT कानपुर द्वारा ऑपरेट किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) और भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM) पुणे की भी मदद ली जा रही है। एजेंसियों के मुताबिक, मानसून का मौसम कृत्रिम बारिश के लिए ठीक नहीं है। इसके चलते ट्रायल की तारीख की आगे बढ़ाने का फैसला लिया गया।
मंत्री सिरसा ने कहा कि जब मानसून का मौसम खत्म हो जाएगा, उसके बाद क्लाउड सीडिंग का ट्रायल किया जाएगा। बदा दें कि इस प्रोजेक्ट के तहत 5 ट्रायल किए जाएंगे, जिसमें 5 बार विमान उड़ान भरेगा। हर एक बार विमान करीब 90 मिनट के लिए उड़ान भरेगा, जिस दौरान वो 100 स्क्वायर किमी के एरिया को कवर करेगा। इस प्रोजेक्ट के लिए दिल्ली सरकार और IIT कानपुर के बीच MOU भी साइन किया गया है। इस प्रोजेक्ट में 3 करोड़ रुपए से ज्यादा का खर्च आएगा, जो दिल्ली सरकार देगी।
कहां पर होगा क्लाउड सीडिंग का ट्रायल?
दिल्ली सरकार के मंत्री मनजिंदर सिरसा ने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत क्लाउड सीडिंग उपकरण से लैस विमान का इस्तेमाल किया जाएगा। उन्होंने बताया कि क्लाउड सीडिंग का ट्रायल नॉर्थ दिल्ली के रोहिणी, बवाना, अलीपुर और बुराड़ी के आसपास के इलाकों में किए जाएंगे।
क्या होता है क्लाउड सीडिंग?
बता दें कि क्लाउड सीडिंग एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके तहत बारिश कराई जाती है। आसान शब्दों में कहें, तो आसमान में विमान भेजे जाएंगे, जो बादलों में खास केमिकल का छिड़काव करेंगे। ये केमिकल सिल्वर आयोडाइड, नमक या अन्य रासायनिक कणों का मिश्रण होता है। इससे बादलों में मौजूद नमी बूंदों या बर्फ के कणों के रूप में इकट्ठे हो जाते हैं, जो भारी होने पर बारिश के रूप में जमीन पर गिरते हैं। बता दें कि दिल्ली सरकार ने शहर में प्रदूषण को कम करने के लिए कृत्रिम बारिश की योजना बनाई है।