बच्चों की बड़ी मुसीबत: माप लेकर बनवाए, फिर भी बंटे ओवर साइज,अब बच्चे कपड़े संभालें या किताबें

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रायपुर। स्कूल खुल चुके हैं। कहीं किताबों का वितरण प्रारंभ हो चुका है तो कहीं छात्र इसका इंतजार कर रहे हैं। इसके अलावा एक नई समस्या स्कूल यूनिफॉर्म के साइज को लेकर खड़ी हो गई है। प्रदेश के अधिकतर शासकीय विद्यालयों में यूनिफॉर्म भेजी जा चुका हैं। लेकिन यूनिफॉर्म उस माप की नहीं आई है, जिस माप की मांगी गई थी। प्रदेशभर के स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा तक के छात्रों को हथकरघा बोर्ड द्वारा तैयार गणवेश का वितरण किया जाता है। जून के दूसरे पखवाड़े में वितरित किए जाने वाले परिधान के लिए दो माह पूर्व ही तैयारियां प्रारंभ कर दी जाती हैं। स्कूलों से अप्रैल माह में बच्चों का साइज पूछा गया था।
चूंकि पहली से आठवीं कक्षा तक छात्रों को फेल करने का प्रावधान नहीं है, इसलिए अप्रैल में सातवीं कक्षा में अध्ययनरत छात्र को आठवीं में दाखिला प्रदान किए जाने की स्थिति को ध्यान में रखते हुए शिक्षकों ने छात्रों का माप भेज दिया। स्कूलों को जो गणवेश प्रेषित किए गए हैं, वे इन माप के अनुसार नहीं है। जब हरिभूमि ने विभिन्न स्कूल प्रबंधन से बात की तो उनका कहना था कि प्रतिवर्ष यही स्थिति रहती है। छोटे लड़कों के हाफपेंट घुटनों से नीचे आ रहे हैं तो लड़कियों की ट्यूनिक उनके पैरों को ढंक रहे हैं। वे इसे पिन या बेल्ट लगाकर कई तरह के जुगाड़ से जैसे-तैसे संभालते हुए स्कूल आ रहे हैं।
टीजएज लड़कों को भी हाफ पैंट
राजधानी के विभिन्न स्कूलों के शिक्षकों और बच्चों से बात करने पर उन्होंने बताया कि सर्वाधिक दिक्कत आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को होती है। आठवीं कक्षा के विद्यार्थी टीनएज में होते हैं। पहली से आठवीं कक्षा तक सभी लड़कों को हाफपेंट ही दिए जाते हैं। छात्र इन्हें पहनने के स्थान पर स्वयं के पैसे खर्च कर फूल पेंट तैयार करवाते हैं। इसके अलावा कई बार छात्राओं को भी शर्मिंदगी की सामना करना पड़ता है। अधिक माप के कपड़े नहीं होने के कारण टीनएज लड़कियां भी स्वयं ही मार्केट से कपड़े खरीद लेती हैं।
हर दूसरे सप्ताह टूट रहे बटन, उधड़ रही सिलाई
साइज के अलावा एक अन्य दिक्कत क्वालिटी की भी है। छात्रों को जो यूनिफॉर्म दिए जा रहे हैं, उनका स्तर भुगतान की जा रही राशि की तुलना में खराब है। हर दूसरे सप्ताह शर्ट के बटन टूट जाते हैं या सिलाई उधड़ जाती है। खराब क्वालिटी के कारण भी कई विद्यार्थी स्कूलों से यूनिफॉर्म ही नहीं लेते या लेने के बाद भी स्वयं मार्केट से खरीदे गए कपड़े पहनते हैं। शिक्षक संघ ने इन कपड़ों की क्वालिटी सुधारने की मांग की है। उनका कहना है कि कई बार शिकायत की जा चुकी है, लेकिन छात्रों की समस्याओं पर गंभीरता से ध्यान ही नहीं दिया जाता है।
नहीं पूछते बच्चों का साइज
शिक्षक संघ के अध्यक्ष संजय शर्मा ने बताया कि, स्कूलों से बच्चों का साइज नहीं पूछा जाता है। सीधे स्कूलों को तीनों साइज के कपड़े बराबर-बराबर संख्या में भेजे जाते हैं। छात्रों की हाइट देखकर शिक्षक इन्हें वितरित करते हैं।