ज्वालेश्वर महादेव का जलाभिषेक: छत्तीसगढ़ से बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालु, गूंजे बोल बम के नारे

भगवन शिव की पूजार्चना करते हुए श्रद्धालु
रायपुर। भगवान शिव की भक्ति और आराधना का विशेष समय सावन के पहले सोमवार के दिन मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की सीमा पर आस्था की धूम है। मध्यप्रदेश के अमरकंटक और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित ज्वालेश्वर में शिव के भक्तों का तांता लगा है। आसमान बोल बम के उद्घोष से गुंजायमान है।
कांवरिए मध्यप्रदेश की सीमा में स्थित अमरकंटक के नर्मदा उदगम से जल लाकर ज्वालेश्वर में भगवान शिव का जलाभिषेक करने बड़ी यहां पहुंच हुए हैं, कांवरियों ने पहले नर्मदा उदगम से जल भरा और विशेष पूजा अर्चना के बाद रवाना हुये यहां उनके कांवरों की आरती हुई और मां नर्मदा से आशीष लेकर ज्वालेष्वर के शिव दरबार में पंहुचे।
शिव भक्ति का प्रतिक है सावन का महीना
दरअसल, सावन का महीना शिव भक्ति का प्रतीक है और मध्यप्रदेश की सीमा में बसे अमरकंटक के नर्मदा उदगम और छत्तीसगढ़ स्थित ज्वालेश्वर महादेव का इस दिन अपना महत्व होता है। 14 जुलाई को पहले सावन सोमवार के दिन नर्मदा उदगम से जल लेकर आठ किलोमीटर दूर पैदल चलकर कांवरों में जल भरकर सैकड़ों की सख्या में श्रद्धालु ज्वालेष्वर महादेव पहुंचे हैं। यहां स्थित स्वयंभू शिवलिंग पर नर्मदा के उदगम जल के साथ ही बेलपत्र, दूध दही दत्यादि से शिव का जलाभिषेक कर मनचाही मुरादें मांगी।
सोमवार के दिन विशेष पूजार्चना
सोमवार को ज्वालेष्वर महादेव में जलाभिषेक करने मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ उड़ीसा और बंगाल से कांवरिए और श्रद्धालु पहुंचे और ब्रहममुहूर्त से ही जलाभिशेक करने का सिलसिला शुरू हो गया। कांवरियों ने नर्मदा उदगम से जल भरकर विशेष पूजा अर्चना के बाद रवाना हुए। यहां उनके कांवरों की आरती हुई और मां नर्मदा से आशीष लेकर ज्वालेष्वर के शिव दरबार में पहुंचे। बाकी समय में ज्वालेष्वर की पहचान भले ही पर्यटन स्थल के रूप में होती हो पर सोमवार के दिन इसका सिर्फ और सिर्फ विशेष धार्मिक महत्व रहता है और लोगों की भीड़ यहां के धार्मिक और पौराणिक महत्व को बतलाती है।