सावन का पहला सोमवार: सतिघाट शिवधाम के गुप्तेश्वर महादेव में जलाभिषेक करने उमड़े श्रद्धालु

Satighat Shivdham
X

सतिघाट शिवधाम

कोतबा में सावन माह के पहले सोमवार को सतिघाट शिवधाम में जलाभिषेक करने के लिए हजारों की संख्या में भक्त पहुंचे।

मयंक शर्मा- कोतबा। छत्तीसगढ़ के कोतबा में सावन माह के पहले सोमवार को सतिघाट शिवधाम में जलाभिषेक करने के लिए हजारों की संख्या में भक्त पहुंचे। सावन मास में यह मंदिर को विशेष साज सज्जा से सजाया गया है। मन्दिर में रोजाना जलाभिषेक, पूजन, आरती, रुद्राभिषेक सहित अन्य कार्यक्रमों का आयोजन भव्य रूप से सम्पन्न कराया जा रहा है।

श्रावण सोमवार को सबसे पहले दिन सतिघाट शिवधाम में महादेव की ब्रह्ममुहर्त में भस्म आरती की गई। जिसमें नगर सहित आसपास के भक्त प्रातः 4 बजे मंदिर पहुंच कर भस्म आरती में सम्मिलित हुए। जिसके बाद धर्मनगरी कोतबा सहित क्षेत्र के हजारों की संख्या में श्रद्धालु जलाभिषेक करने पहुचे अल्प सुबह से ही भक्तगण फूल, दूध, बेलपत्र आदि लेकर मंदिर पहुंचने लगे थे। जिसमें बच्चों से लेकर बुजुर्ग व युवा सहित बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हुई। मंदिर समिति के सदस्यों द्वारा मंदिर में सुरक्षा व्यवस्था देखते हुए जलाभिषेक व अन्य कार्यक्रमों का सफल संचालन किया गया। सतिघाट धाम गुप्तेश्वर महादेव भगवान शिव का दूध, जल आदि से अभिषेक किया गया। इस दौरान ओम नमः शिवाय के जयकारे से शिवालय गूंजते रहे। भक्तों ने भोले बाबा के दर्शन का लाभ लिया।

सुबह से भक्तों का लगा तांता
मंदिर के पुजारी सुदामा शर्मा महाराज ने बताया कि सावन में पूरे महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना होती है। सोमवार को पूजा का विशेष महत्व है। जिसके चलते सावन के पहले सोमवार को भक्तगण कतार में सुबह से ही भगवान शिव के दर्शन व पूजन के लिए शिवालयों में भक्तों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था।

सुबह चार बजे से भस्मआरती हुई संपन्न
वही पंडित धीरज शर्मा ने बताया कि नगर के वार्ड क्रमांक 1 में स्थित सतिघाट धाम शिव मंदिर में सुबह चार बजे से भस्मआरती सम्पन्न हुई। जिसके बाद से ही भक्त भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना के लिए पहुंचने लगे थे। महादेव का अभिषेक के बाद भक्तों ने विधि-विधानपूर्वक पूजा अर्चना की। दिनभर मंदिर में भक्त भगवान शिव के दर्शन के लिए पहुंचते रहे।


मंदिर में भक्तों ने की पूजा- अर्चना
मंदिर में भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना के लिए पहुंचे भक्त बसंत गुप्ता ने बताया कि सावन महीने के सोमवार को भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है, जिसके चलते वे व्रत रखकर मंदिर आकर भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं। भगवान शिव का जल, दूध, नैवेद्य से अभिषेक करना चाहिए। भगवान शिव को विषैले पुष्प प्रिय हैं, इसलिए धतुरा, मदार व बेल पत्र आदि भगवान शिव को अर्पण कराना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव माता पार्वती के साथ पृथ्वी पर आकर मंदिरों में वास करते हैं, जिसके कारण सावन की शिव पूजा का विशेष महत्व होता है। सतिघाट शिवधाम में सावन माह में विशेष आयोजन किया जा रहा है। प्रत्येक सोमवार को बाबा का अलौकिक श्रृंगार और महाआरती हो रही है

सावन महीने के हर दिन होता महारूद्राभिषेक
धर्मनगरी कोतबा स्थित सतिघाट शिवधाम मन्दिर में हर वर्ष की भाँति इस वर्ष भी श्रावण माह भर नियमित रूप से प्रत्येक दिन महारुद्राभिषेक का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक महारुद्राभिषेक का विधिविधान से आयोजन जगत कल्याण की कामना को लेकर किया जा रहा है। जिसमें समस्त नगरवासियों सहित आस- पास के शिव भक्त हिस्सा ले रहे है।

धार्मिक पर्यटन के रूप में विकसित हो रहा सतिघाट
दार्शनिक रूप में विकशित हो रहे सतिघाट धाम में दिनों दिन भक्तों के आवाजाही में भारी इजाफा हो रहा है यहां कल कल करके बहती भैवनी नदी और हनुमान जी के 31 फिट के बने मूर्ति सहित पौराणिक काल के अदभुत पत्थरों पर बने पहचान से लोग और अधिक आकर्षित हो रहे है। लोगो सहित यहां के बुजुर्गों का मानना है कि इसी राह से भगवान राम और सीता का गमन हुआ था। उनके द्वारा रखे केला आम जो पत्थरों पर निशान दिख रहे है, वह वास्तविकता है लोगो का मानना है कि पत्थरों पर बने निशान में हिरण का वध भी किया गया है। जिसके रक्त के निशान आज भी उस काल को उन्हें याद दिलाते है, यह मान्यता आदिकाल से चलते आ रहे है। जिसकी वे अनुकरण करते है यह जगह में बिशेष रूप से सनातन धर्म से जुड़े लोगों ने जीवंत रखा है। यहां प्रतिदिन विशेष पूजा पाठ और रात्रि आरती का आयोजन किया जाता है।

40 साल से प्रज्वलित घुनी के दर्शन मात्र से सभी प्रकार के कष्ट होते हैं दूर
मंदिर के पुजारी व घुनी को प्रज्वलित करने वाले सुदामा महराज ने बताया कि यहाँ गुप्तेश्वर महादेव के स्थापना के बाद भी लोगो के कष्ट को दूर करने के लिए घुनी जलाई गई थी जो आज भी प्रज्वलित है। जो भी भक्त इसके दर्शन करता है उसके सारे कष्ट दूर हो जाते है। यहाँ काफी दूर दूर से लोग दर्शन करने आते है।

WhatsApp Button व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp Logo

Tags

Next Story