सावन का पहला सोमवार: एक साथ बन रहे 5 शुभ संयोग, जानें शिव-गणेश की पूजा विधि

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14 जुलाई 2025 को सावन का पहला सोमवार और गजानन संकष्टी चतुर्थी एक साथ पड़ रही है। जानें शुभ योग, पूजा विधि और शिव-गणेश पूजन का महत्व।
Sawan Somwar: इस वर्ष सावन महीने की शुरुआत शुक्रवार, 11 जुलाई से हो चुकी है। पहला सोमवार व्रत 14 जुलाई 2025 को रखा जाएगा। इस दिन सावन के पहले सोमवार के साथ ही गजानन संकष्टी चतुर्थी का व्रत भी पड़ रहा है, जो कि भगवान गणेश को समर्पित होता है। पंचांग के अनुसार, यह संयोग शिव-गणेश भक्तों के लिए अत्यंत फलदायी और दुर्लभ माना जा रहा है। यहां पढ़ें कौन-कौन से शुभ योग बन रहे हैं।
एक ही दिन शिव-पुत्र गणेश का पूजन
श्रावण मास के पहले सोमवार और चतुर्थी तिथि का यह संगम पिता-पुत्र की आराधना का विशेष अवसर प्रदान कर रहा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान शिव और भगवान गणेश दोनों की पूजा करने से भक्तों को सौभाग्य, समृद्धि और बाधा निवारण का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
सावन सोमवार के 5 शुभ संयोग
- आयुष्मान योग
- सौभाग्य योग
- धनिष्ठा नक्षत्र और शतभिषा नक्षत्र का संधिकाल
- शिव वास योग
- गजानन संकष्टी चतुर्थी का दुर्लभ योग
पूजा विधि
- प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें। उन्हें दूर्वा, मोदक और सिंदूर अर्पित करें।
- इसके बाद शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा, भस्म व भांग चढ़ाएं।
- शिव और गणेश दोनों की आरती करें और व्रत कथा का श्रवण करें।
- शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूर्ण करें।
धार्मिक महत्त्व
सावन सोमवार भगवान शिव को प्रिय है, वहीं संकष्टी चतुर्थी पर विघ्नहर्ता गणेश की पूजा सभी कष्टों को दूर करती है। दोनों का एक साथ पूजन जीवन में संकट नाश, सुख-शांति और धन-समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है।
डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। HariBhoomi.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।