Uttarkashi Tunnel Rescue: उम्मीदों के आगे हारी चट्टान, 17 दिन बाद 41 मजदूर निकले बाहर, पढ़ें रेस्क्यू ऑपरेशन की पूरी कहानी

Uttarkashi Tunnel Rescue: उम्मीदों के आगे हारी चट्टान, 17 दिन बाद 41 मजदूर निकले बाहर, पढ़ें रेस्क्यू ऑपरेशन की पूरी कहानी
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Uttarakhand Tunnel Rescue: उत्तराखंड सुरंग में बचाव अभियान पूरा हो चुका है। कड़ी मशक्कत के बाद मलबे में फंसे 41 मजदूरों को दिनों के बाद बाहर निकाल लिया गया है।

Uttarakhand Tunnel Rescue: उत्तराखंड सुरंग में बचाव अभियान पूरा हो चुका है। कड़ी मशक्कत के बाद मलबे में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया है। एंबुलेंस पहले ही सुरंग के बाहर तैनात कर दी गई थी, ताकि सभी को बेहतर इलाज की सुविधा दी जा सके। रेस्क्यू के लिए अमेरिकी ऑगर मशीन का उपयोग किया गया, लेकिन गुरुवार यानी 23 नवंबर को ऑगर मशीन भी खराब हो गई थी। इसके बाद रैट होल माइनिंग के जरिए रेस्क्यू ऑपरेशन दोबारा शुरू किया गया। अब 17 दिनों की कड़ी मेहनत और कई मुश्किलों का सामने करने के बाद आज मंगलवार को सभी को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।

क्या है रैट होल माइनिंग

मेघालय में रैट होल ड्रिलिंग काफी फेमस है। इस विधि का इस्तेमाल जमीन में खोदे गए गड्ढों से कोयला निकालने के लिए किया जाता है। माइनर्स रस्सियों या बांस की सीढ़ी के सहारे गड्ढों के अंदर जाते हैं। इसके बाद ये लोग फावड़े और टोकरी जैसे हाथ के औजारों का इस्तेमाल करके कोयला निकालते हैं। रैट होल माइनिगं दो तरीकों से की जाती है। पहला है साइड कटिंग प्रक्रिया और दूसरा बॉक्स कटिंग। साइड कटिंग प्रक्रिया के तहत एक संकरी सुरंग तैयार की जाती है, जबकि बॉक्स कटिंग के तहत एक वर्टिकल गड्ढा खोदा जाता है।

मजदूरों को बाहर निकालने में आई काफी अड़चन

सुरंग ढहने से मजदूर करीब 60 मीटर मलबे के पीछे फंस गए थे। मलबा खोदकर दूरी कम करने की कोशिश की जा रही थी। मलबे में मशीनों के जरिए पाइप भी डाले गए। बचावकर्मी पाइप के काफी अंदर तक पहुंचे और वहीं से मजदूर भी लाए गए। इसमें बार-बार काफी रुकावटों का सामना करना पड़ा था।

अमेरिका में बने उपकरणों से चला बचाव कार्य

उत्तरकाशी में सुरंग खोदने का काम अमेरिका में बने उपकरणों से चला। सुरंग में पिछले 17 दिनों से 41 लोग फंसे हुए थे। उन तक भोजन, पानी और अन्य जरूरी चीजें पहुंचाई जा रही थीं। बचावकर्मी लगातार कर्मचारियों के संपर्क में थे। वे पाइप के जरिये परिवार से बात भी कर रहे थे। सुरंग के बाहर बचाव की तैयारियां जोरों पर थी। बुधवार रात यानी 22 नवंबर से ही 20 एंबुलेंस वहां तैनात कर दी गई थी, क्योंकि पहले ऐसा बताया जा रहा था कि सभी मजदूर 23 नवंबर यानी गुरुवार को सुरंग से बाहर सुरक्षित निकाल लिए जाएंगे, लेकिन फिर ऑगर मशीन खराब हो गई और रेस्क्यू का काम रुक गया।

कैसे पहुंचाया गया खाना

सुरंग में फंसे मजदूरों के लिए पाइपलाइन से खाना पहुंचाया गया। इसमें मजदूरों को खाने के लिए चना जैसी अन्य चीजें पाइप में डाली गईं। फिर प्रेशर से उसे टनल में फंसे मजदूरों तक पहुंचाया गया।

सुरंग के बाहर बनाया गया मंदिर

उत्तरकाशी सुरंग में फंसे हुए पीड़ितों को बचाने के लिए मुख्य द्वार पर एक मंदिर बनाया गया। यहां पुजारियों ने मजदूरों के सुरक्षित बाहर आने के लिए प्रार्थना की। मजदूरों को बाहर निकालने के लिए विज्ञान के साथ-साथ भगवान का भी सहारा लिया गया।

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