Uttarakhand Tunnel Rescue: 41 मजदूरों को रेस्क्यू करने में कौन-कौन बना 'मांझी', ये हैं बचाव अभियान चलाने वाले योद्धा

Uttarakhand Tunnel Rescue Heroes: आपको दशरथ मांझी की कहानी तो याद होगी। जिस तरह उनकी पत्नी फगुनी देवी की पहाड़ पार करते हुए पैर फिसलने मौत हो गई थी और फिर दशरथ ने उस पहाड़ को चीरकर रास्ता बनाया। वैसे ही ठीक अब उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में पिछले 17 दिनों से फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए एक बार फिर पहाड़ को चीरना पड़ा। इन मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए तमाम लोग रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे। चलिए आपको बताते हैं उन तमाम लोगों के बारे में, जिन्होंने इस रेस्क्यू ऑपरेशन में मांझी जैसी अहम भूमिका निभाई।
सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों के बचाव अभियान में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, भारतीय सेना, अन्य राज्य और केंद्रीय एजेंसियों को साइट पर तैनात किया गया था। सुरंग में पिछले 17 दिनों से फंसे 41 मजदूरों को आज मंगलवार को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है।
आईएएस अधिकारी नीरज खैरवाल
आईएएस अधिकारी नीरज खैरवाल को सिल्कयारा सुरंग रेस्क्यू ऑपरेशन का नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया था। वह पिछले 10 दिनों से बचाव कार्यों की देखरेख और कमान संभाल रहे थे। खैरवाल रेस्क्यू स्थल से सीएमओ और पीएमओ को पल-पल की अपडेट दे रहे थे। खैरवाल वह उत्तराखंड सरकार में सचिव भी हैं।
क्रिस कूपर, माइक्रो-टनलिंग विशेषज्ञ
क्रिस कूपर एक माइक्रो-टनलिंग विशेषज्ञ हैं, जो 18 नवंबर को उत्तरकाशी के सिल्कयारा पहुंचे थे। कूपर एक चार्टर्ड इंजीनियर हैं, जो सिविल इंजीनियरिंग बुनियादी ढांचे, मेट्रो सुरंगों, बड़ी गुफाओं, बांधों, रेलवे और खनन में विशेषज्ञता रखते हैं। वह ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल परियोजना के अंतरराष्ट्रीय सलाहकार भी हैं।
लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन (सेवानिवृत्त), एनडीआरएफ सदस्य
भारतीय सेना के सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल और एनडीएमए टीम के सदस्य सैयद अता हसनैन उत्तराखंड सुरंग दुर्घटना में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की भूमिका की देखरेख कर रहे थे। लेफ्टिनेंट जनरल हसनैन पूर्व में श्रीनगर में तैनात भारतीय सेना की जीओसी 15 कोर के सदस्य थे।
अर्नोल्ड डिक्स, सुरंग निर्माण विशेषज्ञ
वैज्ञानिक शोधकर्ता और भूमिगत सुरंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स पहले कुछ दिनों से बचाव स्थल पर हैं और सुरंग की होरिजेंटल ड्रिलिंग की निगरानी कर रहे थे। डिक्स ने फंसे हुए 41 मजदूरों को निकालने का सबसे प्रभावी तरीका जानने के लिए बचाव स्थल का निरीक्षण भी किया था।
रैट होल खनन विशेषज्ञ
माइक्रो-टनलिंग, मैन्युअल ड्रिलिंग और फंसे हुए मजदूरों को बाहर निकालने के लिए मध्य प्रदेश से छह रैट होल खनन विशेषज्ञों को बुलाया गया। जिनकी मदद से आज रात को सभी 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।
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