जगन्नाथ यात्रा भगदड़ मामले में सख्त कार्रवाई: DCP समेत दो अधिकारी सस्पेंड, CM मोहन माझी ने मांगी माफी

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पुरी भगदड़ मामले में सरकार की सख्त कार्रवाई, DCP समेत दो अधिकारी सस्पेंड

पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान भगदड़ में 3 लोगों की मौत हो गई। ओडिशा के सीएम मोहन माझी ने हादसे के लिए माफी मांगी और डीसीपी समेत दो पुलिस अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया। जांच के आदेश भी दिए गए हैं।

Jagannath Yatra Stampede: पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा भगदड़ मामले में ओडिशा सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है। मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने न सिर्फ पुरी के डीसीपी बिष्णु चरण पति और पुलिस कमांडेंट अजय पाधी को निलंबित किया, बल्कि जिला कलेक्टर सिद्धार्थ शंकर स्वैन और एसपी विनीत अग्रवाल का तबादला भी करने का निर्देश दिया। घटना को लेकर मुख्यमंत्री ने जनता से माफी मांगी और कहा कि सुरक्षा में हुई चूक की उच्चस्तरीय जांच करवाई जाएगी।

हादसा कैसे हुआ?

यह हादसा रविवार (29 जून) तड़के सुबह 4 बजे के करीब उस वक्त हुआ, जब हजारों की संख्या में श्रद्धालु गुंडिचा मंदिर के पास रथों के दर्शन के लिए मौजूद थे। भगदड़ उस समय मची जब तीनों देवताओं – भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथों के पास पूजा-सामग्री लेकर जा रहे दो भारी ट्रक अचानक भीड़ में प्रवेश कर गए। भीड़ में अफरा-तफरी मच गई और कई लोग दब गए, जिसमें तीन की मौत हो गई और कई घायल हो गए।

मुख्यमंत्री ने क्या कहा?

मुख्यमंत्री मोहन माझी ने घटना पर दुख प्रकट करते हुए X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, "शरदबली में महाप्रभु के दर्शन के लिए भक्तों में तीव्र उत्सुकता के कारण, धक्का-मुक्की और अराजकता से एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी। व्यक्तिगत रूप से, मेरी सरकार और मैं सभी जगन्नाथ भक्तों से क्षमा मांगते हैं।"

उन्होंने यह भी कहा कि जिन परिवारों ने अपने परिजन खोए हैं, उनके प्रति सरकार पूरी संवेदना प्रकट करती है और पीड़ितों को हरसंभव सहायता दी जाएगी।

किन अधिकारियों पर गिरी गाज?

  • DCP बिष्णु चरण पति – निलंबित
  • कमांडेंट अजय पाधी – निलंबित
  • कलेक्टर सिद्धार्थ शंकर स्वैन – ट्रांसफर
  • SP विनीत अग्रवाल – ट्रांसफर

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि सुरक्षा व्यवस्था में भारी चूक हुई है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।

रथ यात्रा में भीड़ क्यों बढ़ी?

वार्षिक जगन्नाथ रथ यात्रा, जो शुक्रवार से शुरू हुई थी, में इस वर्ष पिछले वर्षों की तुलना में कहीं अधिक भक्त शामिल हुए। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस बल मौजूद था, लेकिन व्यवस्थित मार्गदर्शन और बैरिकेडिंग की कमी के कारण हालात बेकाबू हो गए।

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