हरिभूमि Exclusive: मोदी जी की सबसे बड़ी उपलब्धि क्या है? जानिए अमित शाह की जुबानी

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से हरिभूमि-आईएनएच के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी की विशेष बातचीत।
Amit Shah Exclusive: भारतीय राजनीति में अमित शाह एक ऐसी प्रभावशाली शख्सियत हैं, जिन्होंने न केवल भारतीय जनता पार्टी को संगठित किया, बल्कि शासन और सुरक्षा के मोर्चे पर भी खुद को साबित किया है। पूर्व में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बीते छह वर्षों से केंद्रीय गृहमंत्री के तौर पर उन्होंने प्रशासनिक कार्यकुशलता का नया मानदंड स्थापित किया है।
दस महीने पहले उन्होंने देश को चौंकाते हुए यह ऐलान किया था कि 31 मार्च 2026 तक भारत को नक्सलवाद से मुक्त कर दिया जाएगा। अब वह लक्ष्य तय समय से पहले साकार होता दिख रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे विश्वसनीय सहयोगी के रूप में पहचान रखने वाले शाह हाल ही में एक बार फिर छत्तीसगढ़ दौरे पर पहुंचे।
रायपुर में हरिभूमि-आईएनएच के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी से अनौपचारिक मुलाकात के दौरान उन्होंने देश, विदेश और छत्तीसगढ़ से जुड़े तमाम मुद्दों पर खुलकर बातचीत की। एक ओर जहां उन्होंने मोदी सरकार के नेतृत्व में देश की प्रगति पर संतोष जताया, वहीं दूसरी ओर नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई को लेकर आत्मविश्वास से भरे नजर आए। यहां पढ़िए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू;
आपकी सरकार के 11 साल और यूपीए के एक दशक के राज में आप मूल अंतर क्या देखते हैं?
देखिए...सबसे बड़ा अंतर सोच का है। यूपीए की सरकार समस्याओं को टुकड़ों-टुकड़ों में देखती थी, लेकिन मोदी जी के नेतृत्व में समस्याओं को जड़ से समाप्त किया जाता है। यूपीए का लक्ष्य होता था इतने गांवों में बिजली दी जाएगी, हमारा लक्ष्य, हर गांव में बिजली देना, हर घर में नल से जल पहुंचाना हर घर में पीने का स्वच्छ पानी की उपलब्धता, हर घर शौचालय पहुंचाना, हर घर में गैस सिलेंडर देना। वही कारण है कि मोदी सरकार ने पिछले 70 सालों का काम 11 वर्षों में किया है।
विपक्ष अर्थव्यवस्था को लेकर लगातार सरकार को घेरता है, वो कहते हैं कि अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी अच्छे थे, मोदी जी से?
मैं आपसे आंकड़ों के साथ बात करूंगा। यूपीए के वक्त अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी थे, लेकिन उसके बावजूद आखिर क्यों देश की अर्थव्यवस्था में सुधार नहीं हुआ। यूपीए की जब सरकार आई तब अर्थव्यवस्था में दुनिया में 11वें स्थान पर थे। 10 वर्षों के बाद भी 11वें स्थान पर ही रहे, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी जी के 11 साल के कार्यकाल में भारत 11वें से विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना है, और हम तेजी से तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहे हैं। अब आप बताइए कौन अच्छा है? आज विदेशी एजेंसियां भारत की तारीफ करती हैं, आईएमएफ ने भारत की अर्थव्यवस्था को वैश्विक आर्थिक मानचित्र पर एक ‘ब्राइट स्पॉट’ और ‘स्टार पर्फॉर्मर’ कहा, मूडी रेटिंग ने भारत के जीएसटी, बैंकरप्टसी कोड और एनपीए के क्षेत्र में रिफॉर्म की प्रशंसा करते हुए सोवरिन रेटिंग को बीएए 2 में अपग्रेड किया। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग ने भारत की रेटिंग को ‘स्थिर’ से ‘पाजीटिव’ में अपग्रेड किया, अब आप ही बताइए कौन अच्छा है?
मोदी सरकार ने अपने 11 वर्ष पूरे किए हैं। इन 11 वर्षों की क्या खास उपलब्धियां रही हैं?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 11 वर्ष ऐतिहासिक विकास और परिवर्तन के रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय सीमा, आंतरिक सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, विदेशी साख और गरीब उत्थान की दिशा में उल्लेखनीय परिवर्तन हुए हैं। 2014 से पहले का भारत निराशा से घिरा था। जर्जर इंफ्रास्ट्रक्चर, सरकारी योजनाओं में लूट और राजनीति में परिवारवाद का बोलबाला था। लेकिन मोदी सरकार ने आम लोगों, गरीबों, किसानों, महिलाओं और हर जरुरतमंद का ख्याल रखा है।11 वर्ष पहले देश पूरी तरह से आयात आधारित अर्थव्यवस्था पर निर्भर था। मोदी सरकार ने मेक इन इंडिया, स्टार्टअप जैसी योजनाओं से मैन्युफैक्चरिंग को गति दी। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल एक्सपोर्टर बना। 2013-14 में भारत का कैपिटल एक्सपेंडिचर 1.9 लाख करोड़ रुपए था, वो 11 वर्षों में 5.5 गुना से अधिक बढ़कर 10.46 लाख करोड़ रुपए (वित्तीय वर्ष 2024-25) हो गया है।
इलेक्ट्रॉनिक एक्सपोर्ट 7.6 बिलियन डॉलर से पिछले 11 वर्षों में बढ़कर 38.6 बिलियन डॉलर हो गया है। साथ ही विदेशी मुद्रा भंडार 309 बिलियन डॉलर से दोगुना होकर 654 बिलियन डॉलर हो गया है। हाईवे बनाने की प्रतिदिन की रफ्तार 12 किमी. से बढ़कर 21.3 किमी. हो गई है। एयरपोर्ट की संख्या 74 से बढ़कर 162 हो गई है। मेट्रो रेल नेटवर्क 248 किमी. से 1000 किमी. हो गया है।
पिछले 11 साल में 55 करोड़ नए बैंक अकाउंट को खोले गए। इन अकाउंट में 2.61 लाख करोड़ रुपए जमा किए गए हैं। साथ ही नक्सलवाद और आतंकवाद के समूल नाश के लिए ठोस कदम उठाए गए। तीन नए कानून से साक्ष्य आधारित न्याय सुनिश्चित करने से लेकर डिफेंस एक्सपोर्ट पर जोर दिया गया। मोदी सरकार में कश्मीर से 370 धारा हटाकर ऐतिहासिक भूल को सुधारा गया। चाहे तीन तलाक को खत्म करना हो, महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देना हो, वक्फ संशोधन या जीएसटी लाना हो, मोदी सरकार के 11 वर्ष ऐतिहासिक परिवर्तन का कालखंड रहा। मोदीजी की सबसे बड़ी उपलब्धि देखें ,तो उन्होंने अभूतपूर्व विकास के साथ-साथ राष्ट्र के आत्मविश्वास को भी बढ़ाया है।
विपक्ष का आरोप है कि भाजपा सरकार आने के बाद चुनाव आयोग, न्यायपालिका और मीडिया स्वतंत्र नहीं रहीं। सरकार का शिकंजा इन पर कसा है। इस पर आपकी राय?
विपक्ष खासतौर पर कांग्रेस को ऐसी बात करने का हक नहीं है। आपातकाल किसकी देन थी? क्या राहुल गांधी भूल गए कि कैसे आपातकाल लगाकर उनकी दादी ने देश को लगातार 21 माह तक बंधक बनाए रखा था। न्यायपालिका और चुनाव आयोग की शक्तियां छीन ली गई। मनमाने तरीके से कानून संशोधन कर दिए गए। आपातकाल के खिलाफ आंदोलन करने वाले समाजसेवी, महिलाओं, आदिवासी, पिछड़े और विपक्ष के लोगों को जेल में डाल दिया गया। मीडिया के अखबार निकालने पर रोक लगा दी गई। मैं पूछता हूं, आपको लिखने और बोलने की स्वतंत्रता नहीं है क्या?
विपक्ष तो यह भी कहता है कि ईडी और सीबीआई भाजपाई और उनके सहयोगी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करते। कितना सही मानते हैं आप इस आरोप को?
अगर कोई भ्रष्टाचार करता है, तो उसे इसलिए नहीं छोड़ा जा सकता है कि वो विपक्ष में है। जो भ्रष्टाचार करेंगे उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। जिनके घर से करोड़ों-अरबों रुपए निकल रहे हैं, क्या उन्हें विपक्ष दल के नेता होने की वजह से छोड़ दें।
विपक्ष का कहना है कि पड़ोसियों के साथ हमारे संबंध खराब हुए हैं। बांग्लादेश हमसे दूर हो गया है। पाकिस्तान के साथ हमारे रिश्ते खराब हैं। चीन भी हमसे कटा हुआ है?
पड़ोसियों के साथ रिश्ते दोनों देशों पर निर्भर करते हैं। पाकिस्तान आतंकवाद फैलाएगा, जम्मू कश्मीर में आतंक को एक्सपोर्ट करेगा, तो भारत कैसे बातचीत कर सकता है?
स्थानीय भाषाओं के प्रचार-प्रसार पर आपका बहुत जोर रहता है, जो पहले कभी किसी गृहमंत्री का नहीं देखा गया है और हिंदी को लेकर आपका आग्रह बहुत दिखता है। लेकिन तमिलनाडु जैसे राज्यों के मुख्यमंत्री हिंदी इम्पोज करने की बात करते हैं। इस पर आपकी राय क्या है?
देखिए, सभी भारतीय भाषाएं मेरे लिए प्रिय हैं। सभी भारतीय भाषाएं एक दूसरे की सखी हैं। किसी भारतीय भाषा की दूसरी भाषा से स्पर्धा नहीं है, सभी एक दूसरे की पूरक हैं। रही बात तमिलनाडु की, तो तुष्टीकरण, भ्रष्टाचार और परिवारवाद में डूबी स्टालिन सरकार अपने घपले-घोटाले छुपाने के लिए भाषा को मुद्दा बना रही है। आपको बताता हूं हमने स्थानीय भाषाओं के लिए क्या क्या कदम उठाए। हमारी सरकार में आई शिक्षा नीति में हमने मातृ भाषा में प्राइमरी, टेक्निकल और मेडिकल शिक्षा का प्रावधान रखा है। अब सीएपीएफ के कांस्टेबल जीडी की परीक्षा हिंदी और अंग्रेजी के अलावा 13 क्षेत्रीय भाषाओं में होती है। जीईई, नीट, यूजीसी की परीक्षाएं भी अब 12 भाषाओं में होती हैं, अब तमिलनाडु का बच्चा अपनी स्थानीय भाषा में भी ये परीक्षाएं दे सकेगा। वहीं इंजीनियरिंग शिक्षा आज तमिल, तेलुगू, मराठी, बंगाली, मलयालम, गुजराती में उपलब्ध है और एमबीबीएस के प्रथम वर्ष की किताबें भी हिन्दी में उपलब्ध हैं।
तमाम विशेषज्ञ यह मान रहे हैं कि बिहार में भाजपा अपने दम पर सरकार बना सकती है। नीतिश कुमार के स्वास्थ्य को लेकर भी बहुतेरी चर्चाएं होती हैं। क्या बिहार को अगले चुनाव में भाजपा का मुख्यमंत्री मिलने वाला है। एनडीए सरकार बिहार में सरकार बनाने जा रही है?
देखिए, मोदी जी के नेतृत्व में भाजपा के लिए गठबंधन धर्म सर्वोपरि है और भाजपा हमेशा गठबंधन धर्म का पालन करती है। बिहार में एनडीए बहुत मजबूत है। एनडीए एक साथ चुनाव लड़ेगा और बिहार में प्रचंड बहुमत से सरकार बनाएगा।
पश्चिम बंगाल में सत्ता परिवर्तन के आसार देख पा रहे हैं?
निश्चित ही परिवर्तन होगा। ममता सरकार के भ्रष्टाचार और हिंसा से पश्चिम बंगाल की जनता त्रस्त है। भाजपा इस बार अप्रत्याशित प्रदर्शन करने जा रही है।
लम्बी प्रतीक्षा के बाद जनगणना की घोषणा हुई, नोटिफिकेशन आया। लेकिन विपक्ष का आरोप है कि आपने नोटिफिकेशन में जातिगत जनगणना की चर्चा ही नहीं की?
प्रधानमंत्री मोदी जी और मैंने कई बार कहा है कि जातिगत जनगणना होगी और मैं एक बार फिर कह रहा हूँ कि जनगणना के साथ ही जातिगत जनगणना को भी किया जाएगा। गृह मंत्रालय की तरफ से तीन प्रेस रिलीज 30 अप्रैल, 4 जून और 15 जून 2025 को जारी हुई। इन तीनों में भी कहा गया है कि इस बार की जनगणना में जातीय गणना भी की जाएगी। मैं आपको बता दूं कि जनगणना का नोटिफिकेशन एक तरह से इंटेंट होता है। ऐसे में इसे लेकर किसी तरह का भ्रम नहीं होना चाहिए।
और कब तक जनगणना की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी? और क्या ये हिंदी और अंग्रेजी में होगी?
हमारी सरकार टेक्नोलॉजी के उपयोग से जनगणना करेगी, इसलिए पहले जनगणना में जितना समय लगता था, इस बार उससे कम समय लगेगा। जनगणना को लेकर एक ऐप बनाया जा रहा, जो स्थानीय भाषों में भी उपलब्ध होगा। इस ऐप के माध्यम से लोगों की जानकारियां अपलोड की जाएंगी।
छत्तीसगढ़ तेलंगाना की सीमा पर कुर्रेगुट्टा पहाड़ी पर देश का सबसे बड़ा आपरेशन चलाया गया। ऐसा दावा है कि नक्सली लीडरों को वहां घेरकर रखा गया और बड़े अफसर भी मान रहे थे कि फोर्स को बड़ी सफलता मिलेगी। परंतु क्या आपको आशा के अनुरुप सफलता मिली?
देखिए, कुर्रेगुट्टा पहाड़ी पर चलाया गया नक्सल विरोधी अभियान बेहद सफल रहा है। इस अभियान के 21 दिनों में 31 नक्सलियों को ढ़ेर किया गया। ये पहला ऐसा इतना बड़ा अभियान रहा, जिसमें एक भी जवान की शहादत नहीं हुई। साथ ही, भारी मात्रा में हथियार बरामद किए गए थे। कुर्रे गुट्टा पहाड़ी क्षेत्र नक्सलियों का गढ़ रहा है, जहां नक्सली प्रशिक्षण लेते थे और हथियार बनाते थे। उनकी हथियार बनाने वाली 3 लेथ मशीने बरामद हुई, बीजीएल सेल और आईईडी बनाने वाली 3 यूनिट्स को बर्बाद किया, 214 बंकर ध्वस्त किये गए, जहां लाल आतंक की गूंज थी, वहां आज तिरंगा लहरा रहा है। नक्सल के विरुद्ध इस अभियान में सुरक्षा बल 42 से 45 डिग्री के तापमान, दुर्गम क्षेत्रों में बीहड़ों में मोर्चा संभालते हैं। ये सीरीज ऑफ ऑपरेशन हैं और सभी नक्सल अभियान हमारे लिए बड़े ही होते हैं। हम हर एक नक्सली तक पहुंचेंगे।
दशकों पुरानी नक्सलवाद समस्या को खत्म करना आसान नहीं है। ऐसे में किस तरह से इतनी पुरानी समस्या में सफलता मिल रही है। अब तक कितने नक्सलियों को मार गिराया गया है? और कितने नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है?
देखिए, हमारी सरकार ने नक्सलवाद के खिलाफ एक मल्टी-डायमेंशनल एप्रोच लिया। हमने पहले की सरकारों की डिफेंसिव रणनीति को छोड़ ओफेंसिव रणनीति अपनाई है। जो क्षेत्र नक्सल मुक्त हो रहे हैं, वहाँ सुरक्षा वैक्यूम भरने के लिए कैंप बनाये जा रहे हैं, उन क्षेत्रों का विकास किया जा रहा है और गरीब कल्याण की योजनायें पहुंचाई जा रही हैं। अब अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग कर नक्सल गतिविधियों की सटीक निगरानी और विश्लेषण किया जा रहा है। साथ ही, लोकेशन ट्रैकिंग, मोबाइल फोन की गतिविधियों, साइंटिफिक कॉल लॉग्स और सोशल मीडिया एनालिसिस जैसी तकनीकों के जरिए नक्सलियों की हरकतों पर पैनी नजर रखी जा रही है। इसी का परिणाम है कि नक्सलवाद की हिंसक घटनाएं जो 2004-14 में 16,463 थी वो 52 फीसदी घटकर 7,856 रह गयी हैं।
ऐसे ही सुरक्षा बलों की मृत्यु में 71 फीसदी और नागरिकों की मृत्यु में 68 फीसदी की कमी आई है। पिछले वर्ष ही 290 नक्सलियों को न्यूट्रलाईज किया, 1090 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया और 881 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया। जबकि 2025 में ही 226 नक्सलियों को न्यूट्रलाईज किया गया, इस वर्ष 886 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, 23 मई 2025 को ही बीजापुर में 24 हार्डकोर नक्सलियों ने सरेंडर किया। पहली बार ऐसा हुआ है कि कोई जनरल सेक्रेटरी लेवल का नक्सली बसवराज मारा गया, यह एक बड़ी उपलब्धि है। सुरक्षा बलों द्वारा चलाये गए नक्सल विरोधी ऑपरेशनों के कारण आज नक्सलियों का गढ़ कहे जाने वाले बूढ़ा पहाड़, चक्रबंधा, कर्रेगुट्टा पहाड़ी, अबूझमाड़ जैसे इलाके नक्सल मुक्त हो गए हैं।
एक तरफ आप नक्सलियों को मार रहे हैं, दूसरी तरफ उनसे आत्मसमर्पण की बात कहते हैं?
मोदी सरकार की नीति स्पष्ट है अगर कोई हिंसा के रास्ते पर चला गया है, तो सरकार उसे हथियार छोड़ने की अपील करके समाज की मुख्यधारा से जुड़ने का मौका दे रही है। नक्सली आत्मसमर्पण करके विकास की यात्रा से जुड़कर कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं। छत्तीसगढ़ की डबल इंजन सरकार में आत्मसमर्पण्ा के लिए लुभावनी नीति बनाई गई है। अगर नक्सली हथियार नहीं छोड़ते हैं, तो उन्हें सुरक्षा बलों का सामना करना ही होगा।
इससे जुड़ा सवाल है और यह छत्तीसगढ़ बड़ी चर्चा का विषय है। छत्तीसगढ़ को बस्तर से बेहद प्रेम है। लोग जानना चाहते हैं कि नक्सलियों के खात्मे के बाद वहां के जंगल और पहाड़ औद्योगिकरीकरण की भेंट न चढ़ जाएं। क्या अमित शाह ऐसा आश्वासन छत्तीसगढ़ को दे सकते हैं कि बस्तर के जंगल और पहाड़ हमेशा सुरक्षित रहेंगे?
बस्तर हमारे भी दिल में बसता है। मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि बस्तर का विकास बस्तर के लोगों की भावनाओं के ही अनुरूप होगा।
नक्सल मुक्त भारत के साथ आपने नशामुक्त भारत का भी ऐलान किया है, उस पर कितनी प्रगति हुई है?
देखिये, ड्रग्स युवाओं के लिए अभिशाप है, यह आने वाली पीढ़ियों को बर्बाद करता है, हम इसकी समाप्ति की रणनीति पर काम कर रहे हैं। हम रुथलेस अप्रोच से इसके पूरे नेटवर्क को ध्वस्त कर रहे हैं। इसके लिए संस्थागत संरचना को मजबूत किया है, एजेंसियों को सशक्त किया है और उनके बीच समन्वय को सीमलेस बनाया है और विस्तृत जागरूकता अभियान भी चला रहे हैं।
साल 2019 में गृह मंत्रालय ने इसके लिए चार स्तरीय एनकोर्ड मैकेनिज्म बनाया, संयुक्त समन्वय समिति का गठन किया गया। समुद्री मार्ग से तस्करी रोकने के लिए उच्च स्तरीय समर्पित टास्क फोर्स बनाये। सीजर इनफारमेशन मैनेजमेंट सिस्टम, निदान, एनकोर्ड पोर्टल बनाये गए, इनका परिणाम हुआ कि जहाँ 2004-14 में 40 हज़ार करोड़ रुपए के मूल्य का 25 लाख किलो ड्रग्स पकड़ा गया था, वहीं मोदी सरकार ने 2014-25 के बीच 1 करोड़ किलो से अधिक ड्रग्स जब्त किया जिसकी कीमत 1 लाख 50 हज़ार करोड़ रुपए है।
पकडे हुए ड्रग्स का दोबारा उपयोग न हो सके इसके हमारी सरकार ने बड़े पैमाने पर ड्रग्स को नष्ट करने का अभियान शुरू किया और 31.53 लाख किलो मादक पदार्थों को नष्ट किया जो यूपीए सरकार की तुलना में 10 गुना अधिक है। सिंथेटिक ड्रग्स जो पूरी दुनिया के सामने एक नई चुनौती बन गया है, हमारी सरकार ने 5 वर्षों में 14 हजार करोड़ से अधिक का 23 हजार किलो सिंथेटिक ड्रग्स जब्त किया और विभिन्न राज्यों में लगभग 41 क्लैन्डेस्टिन लैब्स को नष्ट की गई, 86 हजार किलो ड्रग्स जब्त हुआ और 136 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
बदलते युग में साइबर खतरे की चुनौतियां लगातार बढ़ती जा रही है। जैसा कि आपने कहा कि भारत में डिजिटल ट्रांजेक्शन में विश्व में अग्रणी है। ऐसे में साइबर हमलों से देश वासियों को सुरक्षित बनाने के लिए क्या किया जा रहा है?
मोदी सरकार ने साइबर हेल्पलाइन ‘1930’ शुरू की है, जिस पर प्रतिदिन करीब 60 हजार फोन कॉल आते हैं, 419 बैंक और वित्तीय मध्यस्थ इसके साथ जोड़े जा चुके हैं, इसके माध्य्म से 14 लाख 47 हजार लोगों के 4,725 करोड़ रुपए की वापस दिलाने का काम भी हुआ है। 2020 में मोदी सरकार द्वारा शुरू किये गए साइबर क्राइम पोर्टल पर 65 लाख यूनिक शिकायतें दर्ज हुई और 1.5 लाख से अधिक एफआईआर दर्ज की गयी, लोगों द्वारा 20 करोड़ से अधिक बार इस पोर्टल का उपयोग किया जा चुका है। इंडियन साइबर क्राइम कार्डिनेशन सेंटर की स्थापना की गई है, 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में साइबर फारेंसिक ट्रेनिंग लेब की स्थापना की है। साइबर फ्रॉड मिटिगेशन सेंटर यानी सीएफएमसी के माध्यम से मोदी सरकार ऑनलाइन फ्रॉड के पैसों को तत्काल रिटर्न करा रही है। शिकायत दर्ज कराने के बाद बैंक फ्रॉड हुए पैसों को फ्रीज कर देता है और वेरिफिकेशन के बाद पीड़ित तक फ्रॉड हुए पैसे पहुंच जाते हैं।
आपकी सरकार ने डिफेंस क्षेत्र में मेक इन इंडिया की शुरुआत की है। एक अच्छी चीज हथियारों के उत्पादन को लेकर दिखती है। भारत अब हथियारों का निर्यातक बन रहा है। रक्षा क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ की प्रगति क्या रही?
हमारी सरकार डिफेंस के क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ की बड़ी शुरुआत की, लेकिन कांग्रेस ने जो गड्डा किया है, उसे भरने में थोड़ा समय लगेगा। ऑपरेशन सिंदूर में स्वदेशी आकाशतीर डिफेंस सिस्टम की सफलता से दुनिया आश्चर्यचकित है। पाकिस्तान के हर हमले को हमारे डिफेंस सिस्टम ने नाकाम कर दिया। डिफेन्स का प्रोडक्शन भी बढ़ा है और एक्सपोर्ट भी बढ़ा है। वर्ष 2023–24 में भारत का रक्षा क्षेत्र में उत्पादन 1.27 लाख करोड़ रुपए और निर्यात 21,083 करोड़ रुपए है और हम 2029 तक 3 लाख करोड़ रुपए के उत्पादन और 50,000 करोड़ रुपए निर्यात के लक्ष्य को हासिल करेंगे।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद फिर से पड़ोसी देशों के साथ संबंध को लेकर सवाल उठने लगे हैं। साथ ही ऑपरेशन सिंदूर को कैसे देखते हैं?
ऑपरेशन सिंदूर ने तीन चीजों का परिचय दिया। प्रधानमंत्री मोदी जी की दृढ़ इच्छाशक्ति, सेनाओं की मारक क्षमता व खुफिया एजेंसियों की सटीक जानकारी। हमारी सेना ने अपने सभी लक्ष्य को पूरी सटीकता से हासिल किया। आतंकी हमलों के जवाब के इतिहास में ऑपरेशन सिंदूर सबसे सटीक और सभी उद्देश्यों की पूर्ति करने वाला अभियान था। हमारी जमीन और नागरिकों पर कोई भी हमला करेगा, तो उसे दोगुना ताकत से जवाब दिया जाएगा। हम कांग्रेस नहीं है, जो डरकर बैठ जाएं। भारत पर हमले होते रहें और भारत चुप रहे ये मोदी सरकार में संभव नहीं है।
हम गोली का जवाब गोले से देंगे। हमारी सरकार में उरी और पुलवामा हुआ तो हमने सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक करके दोगुनी ताकत से जवाब दिया। जब पहलगाम हुआ, तो पाकिस्तान के 100 किमी अंदर जाकर आतंक के हेडक्वॉर्टर को नेस्तानाबूत कर दिया। हमने मुजफ्फराबाद, सियालकोट, मुरीदके और बहावलपुर सहित 9 आतंकी अड्डों को तबाह किया। सुरक्षा एजेंसियों, इनपुट के आधार पर हमारी सेना ने बेहद सटीकता, संयम और धैर्य से पाकिस्तान के केवल आतंकी हेडक्वॉर्टर पर हमला किया। लेकिन पाकिस्तानी सेना ने उसे खुद पर हमला माना और भारत के निर्दोष नागरिकों पर हमला किया, लेकिन भारत की रक्षा प्रणाली ने पाकिस्तान के हर हमले को नाकाम कर दिया। पाकिस्तान के हमले के जवाब में भारत ने पाकिस्तान के एयरबेस और वायु रक्षा प्रणाली को ध्वस्त कर दिया। यह पहली बार है जब भारत ने किसी न्यूक्लियर देश पर सफल ऑपरेशन किया है।
और पीओके पर आप क्या कहेंगे?
कहना क्या है मैंने संसद में भी कहा है कि पीओके हमारा है, भारत का हिस्सा है।
आपने दो भूमिकाएं निभाईं, राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे और राष्ट्र के गृहमंत्री भी। कौनसी भूमिका आपको ज्यादा बेहतर लगी?
मैंने नारणपुरा बूथ से लेकर भाजपा पार्टी में अनेक जिम्मेदारी निभाई हैं। मैं पार्टी का एक अनुशासित कार्यकर्ता हूं मुझे पार्टी जो भी जिम्मेदारी देती है, मैं उसे पूरी क्षमता से निभाता हूँ। आप पत्रकार लोग हमारे कार्य को दो भूमिकाओं में बांधने की कोशिश कर सकते हैं, मैं नहीं।
राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने को लेकर अब भारतीय जनता पार्टी इतनी उहापोह की स्थिति में क्यों नजर आ रही है। नए अध्यक्ष का ऐलान नहीं हो पा रहा है?
भाजपा एक लोकतांत्रिक और 14 करोड़ से अधिक सदस्य वाली पार्टी है। बूथ से लेकर जिला, मंडल, प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर तक पूरी तरह लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव प्रक्रिया चलती है तो, इसमें समय लगता है। जल्द ही भाजपा को नया अध्यक्ष मिल जाएगा।
दशकों तक छत्तीसगढ़ नक्सलवाद से ग्रस्त रहा है। जब छत्तीसगढ़ नक्सलवाद से मुक्त हो रहा है, उसके विकास के लिए क्या योजनाएं चलाई जा रही हैं?
विकास पहुँचेगा... हमने तो विकास पहुंचा कर दिखाया है, मोदी सरकार नक्सल प्रभावित इन क्षेत्रों में तेजी से विकास कर रही है। 11,503 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया जा चुका है और 17,589 किलोमीटर सड़क निर्माण के लिए 20,815 करोड़ रुपए स्वीकृत किए जा चुके हैं। संचार सुविधाओं के विस्तार के लिए दो चरणों में काम किया गया। पहले चरण में 4080 करोड़ रुपए की लागत से 2343 (2G) मोबाइल टावर स्थापित किये गए। दूसरे चरण में 2210 करोड़ के निवेश के साथ 2542 मोबाइल टावरों की स्थापना के लिए कार्य आदेश जारी किया गया। इसके अतिरिक्त प्रभावित क्षेत्रों में 8527 (4G) मोबाइल टावरों को और मंजूरी दी है। नक्सल प्रभावित जिलों में 1007 बैंक शाखाएं, 937 एटीएम और 37850 बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट स्थापित किये जा चुके हैं। 90 जिलों में हर 3 किमी पर 5,731 डाकघर खोले गए हैं। इसके साथ-साथ 48 जिलों में कौशल विकास योजना के अंतर्गत 495 करोड़ रुपए से 48 इंडस्िट्रीयल ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट आईटीआई, 61 कौशल विकास केन्द्र अनुमोदित किए गए हैं।
आपने हाल ही में कहा कि इस बरसात में नक्सली चैन की नींद नहीं सो पाएंगे। इसके पीछे की क्या वजह है?
देखिये, हर बार बारिश के मौसम में नक्सल विरोधी अभियान रुक जाया करते थे। इस बार हम बारिश के मौसम में भी इन अभियानों को रोकेंगे नहीं बल्कि और तेज गति से चलाया जाएगा। मोदी सरकार में 31 मार्च 2026 तक लाल आतंक का अंत होने जा रहा है।