विश्व पृथ्वी दिवस: एमआईटी-वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी पुणे में ग्रीन हाइड्रोजन के विकास पर हो रहा शोध, दुबई में कोप 28 सम्मेलन आयोजित 

COP 28 Program
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विश्व पृथ्वी दिवस
दुनिया भर के देशों के प्रतिनिधि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए नीतियों और कार्रवाइयों पर चर्चा करते हैं। ऐसे ही जलवायु परिवर्तन पर शोध करने में पुणे में स्थित एमआईटी -वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी ग्रीन हाइड्रोजन के विस्तार पर प्रयासरत है।

मधुरिमा राजपाल, भोपाल: आज सम्पूर्ण विश्व में ग्लोबल वार्मिंग एक प्रमुख समस्या बन गया है। जिसमें अनुमान लगाया जा रहा है कि औसत वैश्विक तापमान बढ़ेगा, जिससे ग्लेशियर के पिघलने से समुद्र का जलस्तर बढ़ेगा और पृथ्वी पर रेगिस्तानों का विस्तार होगा, जिससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से जन-धन हानि होगी। ग्लोबल वार्मिंग की इसी समस्या से निजात पाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई शोध और अनुसंधान कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। जिसमें संयुक्त राष्ट्र द्वारा जलवायु परिवर्तन पर आयोजित ‘कॉप सम्मेलन’ भी महत्तवपूर्ण स्थान रखता हैं। इस सम्मेलन में दुनिया भर के देशों के प्रतिनिधि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए नीतियों और कार्रवाइयों पर चर्चा करते हैं। ऐसे ही जलवायु परिवर्तन पर शोध करने में पुणे में स्थित एमआईटी -वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी ग्रीन हाइड्रोजन के विस्तार पर प्रयासरत है।

गन्ने और गेंदे के फूल से ग्रीन हाइड्रोजन के विकास पर दिया रहा बल
हरिभूमि से बातचीत में एमआईटी में पदस्थ डॉ. भरत काले, एमेरिटस प्रोफेसर और मैटेरियल साइंस [सीओई] के निदेशक ने कहा कि एमआईटी ग्रीन हाइड्रोजन के विकास पर कार्य कर रही है। जिसके अंतर्गत जहां एक ओर गन्ने के बायोमास का उपयोग करके ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि गन्ने को हाइड्रोजन में बदलने के लिए मीथेन पायरोलिसिस (क्रैकिंग) या थर्मोलिसिस जैसे तरीकों का उपयोग किया जाता है, जो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में मदद कर सकती है। गन्ने से ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन कम लागत वाला और टिकाऊ ऊर्जा स्रोत हो सकता है, वहीं हमारी रिसर्च गेंदे के फूल से भी ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन पर काम चल रहा है।

दुबई में आयोजित कोप 28 सम्मेलन में यूनिवर्सिटी के 15 छात्रों ने लिया भाग
वहीं उन्होंने बताया कि हाल ही में दुबई में आयोजित कॉप 28 सम्मेलन में हमारी यूनिवर्सिटी के एक दल को भाग लेने का मौका मिला। जिसमें डॉ. रत्नदीप आर जोशी के साथ यूनिवर्सिटी के 15 छात्रों के समूह ने डी-काबोर्नाइजेशन और जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों का मुकाबला करने के लिए ब्रांड का काम किया। स्टूडेंट्स ने कार्बन फुटप्रिंट को कम करने और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए दुनिया भर में सरकारों, संगठनों और उद्योगों द्वारा की गई पहलों के बारे में जानकारी प्राप्त की।

क्यों है ग्रीन हाइड्रोजन महत्तवपूर्ण
ग्रीन हाइड्रोजन पृथ्वी को संरक्षित रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है क्योंकि यह अक्षय ऊर्जा का उपयोग करके बनाया जाता है और कार्बन उत्सर्जन को कम करता है। ग्रीन हाइड्रोजन के उपयोग से विभिन्न उद्योगों और परिवहन क्षेत्रों में कार्बन मुक्त ऊर्जा प्रदान की जा सकती है।

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