अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस: मप्र के महुआ से बनी चाय की चुस्कियां लेंगे लंदनवासी, जानें इसके स्वास्थ्य लाभ

मप्र के महुआ से बनी चाय की चुस्कियां लेंगे लंदनवासी, जानें इसके स्वास्थ्य लाभ
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मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के महुआ से बनी चाय अब लंदन तक पहुंची। जानें कैसे यह चाय खून की कमी, थायराइड और शरीर के दर्द को दूर करने में मददगार साबित होता है।

मधुरिमा राजपाल, भोपाल।

Mahua Tea: महुए का नाम सुनते ही हर किसी के जेहन में सिर्फ शराब की याद आती है लेकिन मप्र के अलीराजपुर, सीधी, उमरिया सहित सात जिलों और छग के बस्तर का महुआ अब सेहत बनाने में काम आ रहा है। महुए से लड्डू, कैण्डी के बाद अब चाय और काढ़ा भी बनाया जा रहा है। यही वजह है कि बस्तर फूड्स संस्था ने महुए की चाय के पांच फ्लेवर तैयार किए हैं। इन पांच फ्लेवर से बनी चाय की खासियत होगी कि इसके उपयोग से खून की कमी, थायराइड, शरीर में दर्द दूर होगा। मप्र के महुआ की इसी खासियत को देखते हुए सात समंदर पार, लंदन में महुआ से बनी चाय के निर्माण के लिए ओ फॉरेस्ट कंपनी ने एक यूनिट शुरू की है।

शरीर में ऊर्जा के साथ डिटॉक्स प्रभाव दिखाती चाय
बस्तर फूड्स की संस्थापक रजिया शेख बताती हैं कि इसके लिए हमने काफी रिसर्च की, लोगों में महुए के प्रति एक गलत धारणा थी कि इससे सिर्फ शराब बनती है लेकिन मदर हुड के लिए काम करने के दौरान मुझे पता चला कि महुए के फूल को उबालकर उसका सेवन जच्चा द्वारा शरीर में आयरन की कमी दूर करने में किया जाता है। और महुआ के इस पानी का फायदा जच्चा और बच्चा दोनों को होता है। साथ ही कुपोषित बच्चों में भी आयरन की कमी दूर करने के लिए हम उन्हें सीधे महुआ न देकर उससे बनी कैंडी, लड्डू और अन्य स्वास्थ्य वर्धक चीजों में कन्वर्ट करके देते हैं। रजिया कहती हैं कि पुरुष हो या स्त्री या बच्चे चाय का सेवन सभी करते हैं। ऐसे में यदि महुआ को अन्य हर्बस के साथ मिलाकर चाय में कन्वर्ट कर दिया जाए तो इसका सेवन आयु वर्ग के लिए फायदेमंद ही होगा।


शरीर को गर्म रखने के साथ करती है इम्युनिटी बूस्ट

लंदन में चाय निर्माण करने वाली कंपनी के हेड दीपम पटेल की मानें तो यह चाय ठंडे इलाके के लोगों के लिए फायदेमंद है। यही कारण है कि इसे लंदन में इतना पसंद किया गया है। उन्होंने कहा कि इस चाय की खासियत केवल शरीर को गर्म रखना ही नहीं बल्कि इम्युनिटी भी बूस्ट करती है क्योंकि मप्र और बस्तर के महुआ में आयुर्वेदिक गुण पाए जाते हैं। इसी वजह से अब इसे देश-दुनिया में पसंद किया जा रहा है।


सिर्फ चाय ही नहीं बल्कि मिलेगा स्थानीय युवाओं को रोजगार भी

रजिया ने बताया कि मप्र के अलीराजपुर, सीधी, उमरिया, नर्मदापुरम, खंडवा, बेतूल और सीहोर का महुआ ज्यादा उत्पादन के साथ साथ अच्छी क्वालिटी का भी है। इसलिए हमने लंदन की ओ फारेस्ट कंपनी के साथ मिलकर इस महुआ को आयतीत करके बस्तर में बने ढाई एकड़ के प्लांट में महुआ प्रोडक्ट बनाने में लगाया। जहां केवल पांच फ्लेवर की चाय ही नहीं बनती बल्कि महुआ वीटा (बच्चों के लिए स्वास्थ्यवर्धक पेय बोर्नविटा का एक प्रकार), महुआ कैंडी, महुआ लड्डू भी बनाए जाते हैं। अभी हाल ही में हमनें अपने प्लांट पर मप्र के कई जिलों से 70 टन महुआ आयतीत किया।

30 रुपए प्रति किलो बिकने वाले महुआ बिक रहा 90 से 120 रुपए प्रति किलो
रजिया ने कहा कि इसके लिए 30 रुपए प्रति किलो बिकने वाले महुआ को लंदन की ओ फाउंडर कंपनी द्वारा 90 रुपए प्रति किलो की दर से खरीदा जाता है और यदि महुआ का उत्पादन ऑर्गेनिक तरीके से हुआ हो और यह ओर्गेनिक वेरिफाइड हो तो इसे 120 रुपए प्रति किलो की दर से भी खरीदा जाता है। इससे सीधा सीधा फायदा आदिवासी अंचलों में महुआ उत्पादक आदिवासी किसानों को है।


स्थानीय आदिवासियों को सीधा फायदा
रजिया ने बताया कि अभी कुछ महीनों पहले मप्र के अलीराजपुर के एक आदिवासी किसान ने हमें करीब सात क्विंटल महुआ दिया, जिसके लिए उसे करीब दो लाख रुपए दिए गए और इस प्रकार अन्य महुआ उत्पादक किसानों को भी इस प्रकार कई गुना फायदा ही हुआ है। उन्होंने बताया कि वन विभाग भी जंगल में नेट लगाकर एक्सपोर्ट क्वालिटी का महुआ संग्रहित कर स्थानीय आदिवासियों को महुआ उत्पाद में प्रशिक्षित कर रहा हैं। इससे बड़ी संख्या में स्थानीय आदिवासियों को जहां एक ओर रोजगार मिल रहा है वहीं उत्पादों को देश और विदेशों में भी पहुंचाया जा रहा हैं।

पंच तत्वों के आधार पर बनी महुआ चाय करेगी बॉडी को डिटॉक्स
रजिया ने बताया कि जिस प्रकार मनुष्य का शरीर पांच तत्वों से बना है, उसी प्रकार 5 तत्वों के आधार पर महुआ चाय के पांच नए फ्लेवर बनाए गए हैं। यह पांच फ्लेवर अर्थ, वाटर, एयर, स्पेस, फायर के नाम से उपलब्ध हैं। इनके हेल्थ बेनिफिट भी हैं। इस चाय की यूनिट बस्तर के अलावा हैदराबाद में शुरू की गई है।

7 बालिकाएं कर रही है इस पर काम
रजिया शेख ने बताया कि ओ फॉरेस्ट कंपनी का पहला प्रोडक्ट महुआ चाय है। ओ फारेस्ट के फाउंडर दीपम पटेल उन्हें उनके सरल भाषा में सिखा रहे हैं। उन्होंने बताया कि इसकी प्रोसेसिंग यूनिट छग के नेंगीगुडा में लगाई गई है, पहला यूनिट हमने जगदलपुर में लांच किया है।


महुआ के बारे में जानकर इसके उत्पादन में दिखा बड़ा भविष्य

ओ फारेस्ट के फाउंडर दीपम पटेल ने कहा हम एक इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे, उसी दौरान एक युवा व्यक्ति ने हमें महुआ और बस्तर से परिचित कराया। जब मैंने महुआ के बारे में जानना शुरू किया तो हमें इस उत्पाद में एक बड़ा भविष्य दिखाई दिया। इसलिए महुआ के क्षेत्र में कई वर्षों से काम कर रहीं रजिया से हम मिले और इस चाय पर काम शुरू किया।

ऐसे बनेगी महुआ चाय
दो चम्मच सूखे महुए का फूल, एक कप पानी, थोड़ा अदरक, तुलसी के पत्ते और शहद या गुड़ मिलाकर चाय तैयार की जाती है। यह चाय स्वास्थ्यवर्धक है। यह शरीर में ऊर्जा के साथ ही यह डिटॉक्स प्रभाव भी दिखाती है। थकान और कमजोरी दूर कर पाचन तंत्र को सुधारने में मददगार है।

2023 में मप्र से 70 टन महुआ बस्तर के प्लांट में किया ट्रांसफर
मध्य प्रदेश में अर्नेस्ट एंड यंग के प्रोजेक्ट मैनेजर प्रणव दुबे ने कहा कि 2023 में हमनें होशंगाबाद से सहेली वंदन केंद्र के जरिए 16 क्विंटल महुआ बस्तर भेजा था, इसके बाद हमने बड़े पैमाने पर महुआ उत्पादक किसानों को ट्रेनिंग दी कि किस प्रकार से स्वच्छ महुआ उत्पादित करना है क्योंकि यदि महुआ में मिट्टी मिल जाए तो यह किसी काम का नहीं रहेगा इसीलिए पेड़ के नीचे नेट लगाकर महुआ को कलेक्ट करने की ट्रेनिंग महुआ उत्पादक किसानों को दी गई ताकि उच्च गुणवत्ता का महुआ उत्पादित हो क्योंकि हाई क्वालिटी महुआ की कीमत उन किसानों को 120रुपए प्रति किलो की दर से दी गई, जबकि सामान्यत: महुआ 30 रुपए प्रति किलो की दर से बिकता है, इसके लिए हमने मध्य प्रदेश के सात जिलों के महुआ उत्पादक क्षेत्रों के पेड़ों को आईडेंटिफाईड किया, उनकी मार्किंग व नंबरिंग की और यह भी बताया कि कितनी नेट किस क्वालिटी की लगेगी। इसके साथ ही 2023 में मप्र से 70 टन महुआ बस्तर के प्लांट में ट्रांसफर किया गया।

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