महंगाई से बड़ी राहत: 77 माह के निचले स्तर पर Inflation Rate; जाने वजह

खान-पानी की चीजें सस्ती, 6 साल के निचले स्तर पर आई रिटेल महंगाई
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खान-पानी की चीजें सस्ती, 6 साल के निचले स्तर पर आई रिटेल महंगाई 

Consumer Price Index : खुदरा महंगाई जून 2025 में घटकर 2.10% पर पहुंची, जो 77 महीनों का सबसे निचला स्तर है। जानें CPI में गिरावट की वजह और इसका आर्थिक असर।

Consumer Price Index : महंगाई की मार झेल रहे लोगों के लिए जरूरी खबर है। जून महीने में खुदरा महंगाई (Retail Inflation) दर घटकर 2.10% पर आ गई है। यह इन्फ्लेशन रेट पिछले 77 महीनों (6 साल) का सबसे निचला स्तर है। इससे पहले जनवरी 2019 में यह दर 2.05% पर थी। यह आंकड़े सरकार ने जारी किए हैं।

बताया कि खाने-पीने की चीजों की कीमतों में आई नरमी और सामान्य मानसून की स्थिति के कारण महंगाई दर में यह गिरावट दर्ज की गई है। मई 2025 में रिटेल महंगाई 2.82% और अप्रैल में 3.16% रही थी।

इंडियन इकनॉमी के लिए अच्छे संकेत

भारत में रिटेल महंगाई दर 2.10% पर पहुंचना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे संकेत हैं। इससे शेयर बजार में सुधार की संभावना बल रही है। देश की आर्थिक स्थिरता और RBI की नीतियों की सफलता का संकेत भी इसे माना जा सकता है। मानसून सही रहा और फूड सप्लाई बनी रही तो महंगाई और नियंत्रित हो सकती है।

महंगाई में गिरावट की वजह क्या है ?

खुदरा महंगाई की गणना कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) के आधार पर की जाती है। इसमें करीब 50% वेटेज फूड आइटम्स का होता है। जून में खान-पीन की सामग्री की महंगाई दर 0.99% से घटकर -1.06% (नेगेटिव) हो गई। इससे CPI में बड़ी गिरावट दर्ज की गई।

शहरों की अपेक्षा गांवों में अधिक राहत

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के मुताबिक, शहरों की अपेक्षा ग्रामीण इलाकों में अपेक्षाकृत अधिक राहत मिली है। ग्रामीण क्षेत्र में महंगाई दर 2.59% से घटकर 1.72% पर पहुंच गई है। जबकि, शहरों में यह 3.12% से घटकर 2.56% पर आ गई है।

RBI ने भी घटाया महंगाई अनुमान

  • भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 4–6 जून को हुई मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में 2025–26 के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान 4% से घटाकर 3.7% कर दिया है।
  • RBI ने अप्रैल–जून तिमाही का अनुमान 3.6% से घटाकर 2.9% कर दिया था, जो सही साबित होता दिख रहा है। यह लगातार फरवरी 2025 से CPI 4 फीसदी के टारगेट से नीचे बनी हुई है।

कैसे घटती-बढ़ती है महंगाई?

  • भारत में महंगाई डिमांड और सप्लाई के संतुलन पर निर्भर करती है। डिमांड अधिक और सप्लाई कम होने पर कीमतें बढ़ जाती हैं, लेकिन यदि डिमांड कम और सप्लाई ज्यादा हो जाती है तो फिर न सिर्फ कीमतें, बल्कि महंगाई भी कम होती है।
  • बाजार में कैश फ्लो (पैसे का अत्यधिक बहाव) कमोडिटी कीमतों में उतार-चढ़ाव, मैन्युफैक्चरिंग लागत, कच्चे तेल (क्रूड ऑयल) की कीमत जैसे कई फैक्टर CPI को प्रभावित करते हैं।

CPI क्या है?

Consumer Price Index यानी CPI वह सूचकांक है, जो खुदरा स्तर पर प्रोडक्ट और सेवाओं की कीमतों में बदलाव को मापता है। इसमें खाद्य सामग्री, कपड़े, ईंधन, परिवहन और स्वास्थ्य सहित 300 से अधिक वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें शामिल होती हैं।

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