नैनो यूरिया: भारत की कृषि क्रांति का नया अध्याय, किसान-पर्यावरण के लिए साबित हुआ वरदान

Nano Urea success story : भारत के कृषि क्षेत्र में हाल के वर्षों में कई बड़े बदलाव हुए हैं, जिनमें नैनो यूरिया (Nano Urea) का विकास एक ऐतिहासिक और परिवर्तनकारी पहल साबित हुआ है। इस पहल की शुरुआत एक युवा वैज्ञानिक के सुझाव से हुई, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचाया गया। पीएम मोदी ने इस विचार की महत्ता को पहचाना और वैज्ञानिक को तत्कालीन उर्वरक मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया (Mansukh Mandaviya) से संपर्क करने की सलाह दी।
एक विचार से क्रांति तक: नैनो यूरिया की शुरुआत (Nano Urea beginning)
डॉ. मांडविया ने हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर एक वीडियो साझा किया, जिसमें उन्होंने बताया कि एक वैज्ञानिक ने उन्हें नैनो यूरिया के कॉन्सेप्ट से अवगत कराया। वैज्ञानिक के अनुसार, 500 मिलीलीटर की एक नैनो यूरिया की बोतल पारंपरिक यूरिया की एक बोरी के बराबर होती है।
यह नवाचार न केवल उर्वरक की खपत को कम करता है, बल्कि भंडारण, परिवहन और वितरण लागत में भी भारी कमी लाता है। सबसे बड़ी बात यह है कि यह पर्यावरण और मिट्टी की सेहत के लिए सुरक्षित है।
इफको के सहयोग से बना विश्व का पहला नैनो यूरिया (World's first nano urea)
डॉ. मांडविया ने इस विचार को साकार करने के लिए इफको (IFFCO) के साथ साझेदारी की और वैज्ञानिकों की टीम बनाई। नतीजतन, भारत ने विश्व का पहला नैनो यूरिया विकसित किया।
आज भारत में हर दिन 2 से 3 लाख नैनो यूरिया बोतलों का उत्पादन किया जा रहा है। किसानों ने भी इसे तेजी से अपनाना शुरू कर दिया है और अब यह नवाचार विश्व स्तर पर सराहा जा रहा है।
नैनो यूरिया के फायदे (Nano Urea benefits)
- मिट्टी को नुकसान नहीं पहुंचाता
- उर्वरक की मात्रा में भारी कमी
- परिवहन और स्टोरेज लागत में कटौती
- कृषकों के लिए अधिक किफायती विकल्प
- पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ
वैश्विक पहचान और पीएम मोदी की सोच (PM Modi and Nano Urea)
मोदी सरकार की दूरदर्शिता और ‘धरती माता की रक्षा’ की नीति के अंतर्गत, नैनो यूरिया, नैनो DAP और प्राकृतिक खेती जैसे टिकाऊ कृषि विकल्पों को बढ़ावा दिया जा रहा है। पीएम मोदी की यह सोच है कि जब युवा दिमाग और दूरदर्शी नेतृत्व मिलते हैं, तो वे परिवर्तनकारी परिणाम देते हैं। नैनो यूरिया इसका जीता-जागता उदाहरण है।